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गुजरात: बिलकिस बानो मामले में दोषी IPS अफसर रिटायरमेंट से एक दिन पहले बर्खास्त

2002 के बिलकिस बानो मामले में दोषी गुजरात कैडर के आईपीएस अफसर आरएस भगोरा को रिटायरमेंट के एक दिन पहले गृह मंत्रालय ने सेवा से 30 मई को बर्खास्त कर दिया. गुजरात के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी.

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बिलकिस बानो. ( India Today Group Photo Editor Bandeep Singh)
बिलकिस बानो. ( India Today Group Photo Editor Bandeep Singh)

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2002 के बिलकिस बानो मामले में दोषी गुजरात कैडर के आईपीएस अफसर आरएस भगोरा को रिटायरमेंट के एक दिन पहले गृह मंत्रालय ने सेवा से 30 मई को बर्खास्त कर दिया. गुजरात के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी.

गुजरात गृह विभाग में डिप्टी सेक्रेटरी (इन्क्वॉयरी) एमआर सोनी ने कहा, 60 साल के आईपीएस अफसर को 31 मई को रिटायर होना था. भगोरा अहमदाबाद पुलिस में डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (ट्रैफिक) के पद पर तैनात थे, जब उन्हें बर्खास्त करने का फरमान आया.

सोनी ने आगे कहा, ''राज्य गृह विभाग को 29 मई को केंद्रीय गृह मंत्रालय से आदेश मिला था, जिसका पालन किया गया और रिटायरमेंट से एक दिन पहले भगोरा को बर्खास्त कर दिया गया.'' सरकारी रिकॉर्ड्स के मुताबिक राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी भगोरा को साल 2006 में आईपीएस कैडर में प्रोमोट किया गया था. बर्खास्त किए जाने का मतलब है कि उन्हें पेंशन सहित अन्य फायदे नहीं मिलेंगे, जो रिटायर्ड सरकारी कर्मचारियों को मिलते हैं.

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इस साल मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को भगोरा समेत अन्य पुलिस अफसरों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने को कहा था. 2002 के गुजरात दंगों में बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में ड्यूटी सही से नहीं निभाने को लेकर बंबई हाई कोर्ट ने 4 अफसरों को दोषी ठहराया था. इन पुलिसवालों में एक डीएसपी, दो इंस्पेक्टर और एक कॉन्स्टेबल शामिल थे. ये सभी अब रिटायर हो चुके हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने बानो को 50 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया था, जिनका गोधरा दंगों के बाद दाहोद जिले के रंधिकपुर गांव में गैंगरेप किया गया था. उस वक्त बानो 5 महीने की गर्भवती थीं. बानो के अनुरोध पर अगस्त 2004 में इस मामले को बंबई ट्रांसफर किया था.

मुंबई की विशेष अदालत ने बानो का बलात्कार और उनके परिवार के 7 लोगों की हत्या करने के मामले में 11 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इस हाई प्रोफाइल मामले में ट्रायल कोर्ट ने भगोरा समेत 5 पुलिसकर्मियों को बरी कर दिया था. इस आदेश को बंबई हाई कोर्ट में चुनौती दी गई. 2017 में हाई कोर्ट ने निचली अदालत का आदेश पलटते हुए इन 5 पुलिसकर्मियों को आईपीसी की धारा 128 (ड्यूटी सही से न निभाने) और 201 (सबूतों से छेड़छाड़) के तहत दोषी ठहराया था.

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