भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सांसद मनसुख वसावा के आज मंगलवार को अचानक पार्टी से इस्तीफे देने के बाद बीजेपी में भूचाल सा आ गया. वसावा ने अपने इस्तीफे में लिखा है कि उन्होंने पार्टी के साथ वफादारी निभाई. साथ ही पार्टी और जिंदगी के सिद्धांत का पालन करने में बहुत सावधानी भी रखी, लेकिन एक इंसान हूं और इंसान से गलती हो जाती है. इसलिए में पार्टी से इस्तीफा देता हूं.
सांसद मनसुख वसावा ने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल को भेजे अपने इस्तीफे में कहा, 'मैंने पार्टी के साथ वफादारी निभाई है. साथ ही पार्टी और जिंदगी के सिद्धांत का पालन करने में बहुत सावधानी भी रखी, लेकिन आखिरकार में एक इंसान हूं, और इंसान से गलती हो जाती है. इसलिए मैं पार्टी से इस्तीफा देता हूं.' वसावा ने यह भी कहा कि लोकसभा सत्र शुरू होने से पहले वो सांसद पद से भी इस्तीफा दे देंगे.
'किसी से कोई शिकायत नहीं'
पार्टी से इस्तीफा देने के बाद भरूच से बीजेपी सांसद मनसुख वसावा ने कहा कि उनकी पार्टी और सरकार से कोई शिकायत नहीं है. मेरे करीबी दोस्त भी जानते हैं कि मैं पिछले लंबे समय से बीमार चल रहा हूं. मैंने पार्टी को पहले भी इस मामले में जानकारी दी थी.
— Mansukh Vasava MP (@MansukhbhaiMp) December 29, 2020
मनसुख वसावा को जब उनकी 1 महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को स्टैचू ऑफ यूनिटी के आसपास इको सेंसिटिव जोन को लेकर लिखी गई चिट्ठी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'इस मामले में सरकार से बातचीत चल रही है और जल्द ही इस पूरे मामले में कोई बेहतर नतीजा निकलेगा. मैंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है लेकिन बीजेपी कार्यकर्ता और मैं मार्गदर्शक हमेशा बनता रहूंगा. किसी भी परिस्थितियों में अपना इस्तीफा वापस नहीं लूंगा.'
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हालांकि जानकारों की मानें तो मनसुख वसावा पिछले कुछ महीनों से राज्य सरकार और पार्टी से नाराज चल रहे थे, जिसकी वजह एक आईएएस अधिकारी को बताया जा रहा है. बताया जा रहा है कि बार-बार आईएएस अधिकारी की शिकायत सरकार में करने के बावजूद रुपाणी सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं लिया गया. ये आईएएस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेहद करीबी माने जाते हैं. अब इसी आईएएस अफसर की वजह से इस्तीफा दिए जाने की बात सामने आ रही है.
गुजरात में अगले महीने जनवरी में स्थानीय निकाय के चुनाव होने हैं. ऐसे में मनसुख वसावा के अचानक इस्तीफा देने से निकाय चुनाव में इसका असर हो सकता है. लेकिन मनसुख वसावा ने साफ कर दिया, 'यदि पार्टी मेरा इस्तीफा स्वीकार नहीं करती है तो मैं पार्टी को अपना इस्तीफा स्वीकारने के लिए राजी कर लूंगा. मैं बीजेपी की विचारधारा को कभी नहीं छोड़ूंगा.'