विजय रुपाणी के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद गुजरात में नए मुख्यमंत्री के नाम पर चर्चा शुरू हो गई और इस बार भी राज्य के शीर्ष पद के लिए नितिन पटेल सबसे आगे चल रहे हैं. करीब 5 साल पहले भी ऐसा ही मौका आया था जब आनंदीबेन पटेल ने मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया तब भी उनका नाम चला था लेकिन बाजी रुपाणी मार ले गए थे.
1 अगस्त 2016 को आनंदीबेन पटेल ने मुख्यमंत्री पद छोड़ने की इच्छा जताई और 4 अगस्त को पद से इस्तीफा दे दिया, इसके बाद राज्य के नए मुख्यमंत्री चुनने के लिए भारतीय जनता पार्टी में बैठकों का दौर शुरू हो गया. जबकि राजनीतिक हलके में नितिन पटेल का नाम भी चर्चा में आ गया.
पार्टी के अंदर नए मुख्यमंत्री को लेकर चर्चा चल रही थी और अंदरखाते में नितिन पटेल काफी समय तक सीएम की रेस में सबसे आगे बने हुए थे. पार्टी आलाकमान ने नए मुख्यमंत्री का नाम तय करने के लिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को बतौर पर्यवेक्षक गुजरात भेजा.
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2016 में थे दूसरे नंबर के नेता
राज्य में तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के बाद नितिन पटेल ही राज्य में दूसरे नंबर के नेता थे. और इन्हीं का नाम सबसे आगे चल रहा था. पटेल ने यहां तक की नाम का ऐलान होने से पहले ही टीवी चैनल्स में इंटरव्यू देने लग गए और बधाई भी स्वीकार करने लगे थे. यहां की वह अपना एजेंडा भी जाहिर करने लग गए. लेकिन शाम होते-होते उन्हें जोर का झटका लगा जब राज्य के बीजेपी अध्यक्ष विजय रुपाणी के नाम का ऐलान अगले मुख्यमंत्री के रूप में हो गया.
ऐसा नहीं है कि नितिन पटेल का नाम पहली बार मु्ख्यमंत्री की रेस से कटा. इससे पहले 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद वह राज्य में मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे बड़े दावेदार माने जा रहे थे. खुद उन्होंने स्वीकार भी किया था कि वह मुख्यमंत्री बनने के लिए तैयार हैं.
लेकिन बाद में आनंदीबेन पटेल को मुख्यमंत्री बना दिया गया. तब उन्हें राज्य के उपमुख्यमंत्री के रूप में संतोष करना पड़ा और विजय रुपाणी के काल में भी वह उपमुख्यमंत्री रहे. हालांकि 2016 में रुपाणी पार्टी आलाकमान की पसंद थे जबकि नितिन पटेल आनंदीबेन के करीबी थे.