अटलांटिक महासागर और प्रशांत महासागर को लाइट स्पोर्ट एयरक्राफ्ट (एलएसए) के जरिए अकेले पार करने वाली विश्व की पहली महिला पायलट आरोही पंडित ने शुक्रवार को एक और ऐतिहासिक कारनामा किया है. 1932 में जेआरडी टाटा द्वारा उड़ाई गई देश की पहली व्यावसायिक उड़ान को उन्होंने आज एक बार फिर से उड़ाया. भारतीय व्यावसायिक नागरिक उड्डयन क्षेत्र के जनक माने जोने वाले जेआरडी टाटा ने 15 अक्टूबर 1932 को कराची से मुंबई तक टाटा एअर सर्विसेज की पहली व्यावसायिक उड़ान को सफलतापूर्वक अंजाम दिया था. उन्होंने सिंगल इंजन वाले डे हैविलैंड पुस मोथ विमान के जरिए एक डाक को लेकर उड़ान भरी थी.
महिला पायलट आरोही पंडित यहां से मुंबई के जुहू एयरपोर्ट के लिए विमान में अकेले उड़ान भरी. 15 अक्टूबर को आरोही पंडित ने भुज रनवे से उड़ान भरी. 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान पाकिस्तान सेना के हमले से क्षतिग्रस्त रनवे को एयरफोर्स के लिए माधापर गांव की महिलाओं ने 72 घंटे में फिर से रनवे बना दिया था. उन महिलाओं का सम्मान करते हुए सभी कच्छ के माधापर की वीरांगना महिलाओ का एयरपोर्ट पर आर्शीवाद लेते हुए आरोही ने भुज एयरपोर्ट से ऐतिहासिक उड़ान भरी.
महिला पाइलट आरोही पंडित भुज से उड़ान भरने के बाद अहमदाबाद में विमान में ईंधन भरेंगी और मुंबई के जुहू स्थित भारत के पहले नागरिक हवाई अड्डे पर उतरेंगी. उड़ान के दौरान आरोही पंडित, लगभग 946 km की दूरी तय करने के लिए लगभग पांच घंटे की हवाई यात्रा करेंगी और 60 लीटर से कम पेट्रोल का इस्तेमाल करेंगी और किसी जीपीएस, ऑटो-पायलट या कंप्यूटराइज्ड उपकरण का इस्तेमाल नहीं करेंगी. इस दौरान वह समुद्र के औसत स्तर से पांच हजार फुट की ऊंचाई से नीचे रहेंगी.
वहीं टाटा समूह का कहना है कि, "ऐतिहासिक सफर को जीवंत करने के आरोही के प्रयास को समर्थन देकर खुशी महसूस कर रहे हैं. यह जेआरडी टाटा के विजन को सच्ची श्रद्धांजलि है"
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क्या है इतिहास?
भारतीय नागरिक उड्डयन क्षेत्र के जनक माने जोने वाले जेआरडी टाटा ने 15 अक्टूबर 1932 को कराची से मुंबई तक टाटा एअर सर्विसेज की पहली उड़ान को सफलतापूर्वक अंजाम दिया था. उन्होंने एकल इंजन वाले डे हैविलैंड पुस मोथ विमान के जरिए एक डाक को लेकर उड़ान भरी थी. वहीं आरोही पंडित 2019 में एलएसए के जरिए अटलांटिक और प्रशांत महासागरों को पार करने वाली विश्व की पहली महिला पायलट बन गई थीं.
कौशिक कांठेचा की रिपोर्ट...