गुजरात में दलितों पर होने वाले अत्याचार की वारदात में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. राज्य सरकार भले ही ये दावा कर रही है कि गुजरात में दलितों को उनके हक दिए जा रहे हैं, और उनके लिए खास तौर पर सुरक्षा के इंतजाम किय जा रहे हैं, लेकिन गुजरात में पिछले एक साल में जो आंकड़े सामने आए हैं वो चौंकाने वाले हैं.
आरटीआई से खुलासा हुआ है कि गुजरात में जनवरी 2018 से दिसंबर तक अत्याचार के 1545 मामले दर्ज किए गए हैं, जिसमें 22 केस हत्या, 81 केस मारपीट, 104 केस बलात्कार और 7 घरों में आग लगाने के मामले शामिल हैं.
अहमदाबाद जैसे शहर में दलितों के खिलाफ अत्याचार के मामले में कटौती होने की बात कही जाती है. जबकि 2018 में अकेले अहमदाबाद शहर में ही 140 अत्याचार के केस दर्ज हुए हैं. जबकि गुजरात में सबसे ज्यादा 5 हत्या और 8 दुष्कर्म की घटनाएं भी अहमदाबाद में ही हुई हैं. गौरतलब है कि 2001 में दलितों के खिलाफ होने वाले अत्याचार के 59 केस रजिस्टर हुए थे जबकि 2007 में 62 और 2016 में 96 मामले दर्ज हुए थे.
गुजरात पुलिस के एससी और एसटी सेल की जानकारी के मुताबिक राज्य के 30 गांव ऐसे हैं, जहां बसने वाले दलितों को सुरक्षा दी गई है. जिसमें 20 गांव तो सिर्फ सौराष्ट्र के हैं. पिछले एक साल में गुजरात में दलितों पर अत्याचार के कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जिन्होंने देश और दुनिया का ध्यान आकर्षित किया. जिसमें दलित युवा पर मूंछे रखने की वजह से हमले, घोड़े पर गांव में घूमने की वजह से हत्या और शादी के दौरान बारात में दूल्हे को घोड़े पर बिठाने को लेकर बारातियों पर हमले जैसे कई मामले पिछले एक साल में गुजरात में सामने आए हैं.