गुजरात हाईकोर्ट ने गुरुवार को 24 साल की एक रेप पीड़िता के अबॉर्शन पर रोक लगा दी. पीड़िता ने प्रेग्नेंसी के सातवें महीने में कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अबॉर्शन कराने की इजाजत मांगी. लेकिन होने वाले बच्चे के जीने के मौलिक अधिकार का हवाला देते हुए कोर्ट ने इसकी इजाजत नहीं दी.
पीड़िता शादीशुदा है. कोर्ट में गुहार लगाते हुए उसने कहा कि बच्चे की डिलिवरी का उसके वैवाहिक जीवन पर बुरा असर पड़ेगा. उसने कहा, 'अगर मैंने किसी और के बच्चे को जन्म दिया तो मेरे पति मुझे घर से बाहर कर सकते हैं.'
हाईकोर्ट ने पीड़िता की अर्जी खारिज करते हुए उसे मौजूदा कानून का पालन करने का आदेश दिया है. भारतीय कानून के अनुसार प्रेग्नेंसी के पांच महीने के बाद भ्रूण हत्या कानूनन जुर्म है.
गौरतलब है कि सूरत में उसे अगवा कर सात लोगों ने करीब छह महीने तक गैंगरेप किया. 14 मार्च को वो वहां से भाग निकली. सात आरोपियों में से अभी तक तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है.