कोरोना संक्रमण के बाद अब देश म्यूकोरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस से जूझ रहा है. म्यूकोरमाइकोसिस के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. सूरत स्थित किरण हॉस्पिटल के मरीजों में ब्लैक फंगस 5 अलग-अलग वैरिएंट नजर आए हैं. यह पहला केस है, जब कहीं से म्यूकोरमाइकोसिस के कुल इतने वैरिएंट नजर आए हों.
सूरत में म्यूकोरमाइकोसिस मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. सरकारी अस्पतालों के अलावा किरण अस्पताल में ही 150 से ज्यादा म्यूकोरमाइकोसिस के पेशेंट भर्ती हैं. यहां राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों से इलाज कराने फंगस के मरीज पहुंच रहे हैं.
किरण अस्पताल के माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट डॉक्टर मेहुल पांचाल का कहना है कि ज्यादातर इजोम्यूकोर और राइजोपस, Absidia, सक्सेनिया और Cunninghamella फंगस मरीजों में देखे जा रहे हैं. ये फंगस उन्हीं मरीजों में पाए गए, जिन्होंने कोरोना से रिकवर किया है.
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200 से ज्यादा होते हैं फंगस के वैरिएंट
डॉक्टरों का दावा है कि फंगस की 7 से 8 प्रकारों में से केवल 5 तरीके के फंगस के लक्षण मरीजों में देखे गए हैं, जिनमें से तकरीबन 200 से ज्यादा फंगस के वैरिएंट होते हैं. सूरत के इस अस्पताल में 20 फीसदी मरीज एस्परजिलोसिस(येलो फंगस) के हैं, वहीं 2 से 5 फीसदी मरीजों में डुअल वैरिएंट के फंगस मिले हैं. डॉक्टरों का यह भी कहना है कि ऐसे मरीजों की प्रॉपर चेकिंग जरूरी है. जांच के आधार पर ही मरीजों के अंदर फैले फंगस का इलाज होना चाहिए.
जानकारों का कहना है कि तटीय इलाकों के नमी वाले क्षेत्र में कंस्ट्रक्शन के चलते प्रदूषित हवा चलती है. यह हवा भी ब्लैक फंगस फैलाने का जरिए बन सकती है. ऐसे में सूरत समुद्री तट पर है, ब्लैक फंगस फैलने का खतरा यहां, सामान्य से ज्यादा है.
रिसर्च में जुटे हैं वैज्ञानिक
अब कोरोना के बाद म्यूकोरमाइकोसिस को लेकर लगातार साइंटिस्ट रिसर्च करने में जुटे हैं. इसके अलग-अलग वैरिएंट डॉक्टरों के लिए मुश्किलें पैदा कर रहे हैं, वहीं रिसर्च के जरिए इन्फेक्शन रोकने के लिए प्रभावी उपाय अपनाने की कोशिशें जारी हैं. इन सबके बीच ब्लैक फंगस के डुअल वेरिएंट ने डॉक्टरों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं.
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