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गुजरात: 'वैक्सीन लगवाने से मौत' जैसी अफवाह, गांवों में उतरी मनोवैज्ञानिकों की टीम

गुजरात के एक गांव में वैक्सीन को लेकर फैले भ्रम को दूर करने के लिए मनोवैज्ञानिकों का सहारा लिया जा रहा है. ये मनोवैज्ञानिक गांव के लोगों को समझा रहे हैं कि वे किसी भी भ्रम में न पड़ें और वैक्सीन लगवाएं.

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वैक्सीन को लेकर ग्रामीणों में फैली है अफवाह.
वैक्सीन को लेकर ग्रामीणों में फैली है अफवाह.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • वैक्सीन को लेकर ग्रामीणों में भ्रम की स्थिति
  • वैक्सीन लगवाने पर मौत का सता रहा डर

देश में कोरोना संक्रमण के खिलाफ लड़ाई में वैक्सीनेशन को अहम हथियार माना जा रहा है लेकिन वैक्सीन को लेकर अलग-अलग तरह की भ्रांतियां सामने आ रही हैं. गुजरात के गांवों में भी वैक्सीन को लेकर गलतफहमी और अफवाहें हावी हैं. वैक्सीनेशन को लेकर लोगों के बीच फैले भ्रम को दूर करने के लिए सरकार मनोवैज्ञानिकों का सहारा ले रही है.

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गुजरात के राजकोट जिले के ग्रामीण इलाके में वैक्सीनेशन टीम के साथ-साथ मनोवैज्ञानिक भी चल रहे हैं. इनमें विश्वविद्यालयों के डॉक्टर और प्रोफेसर भी शामिल हैं. विशेषज्ञों की टीम को अलग तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. जब ग्रामीणों से टीम ने सवाल किया तो उनके जवाब हैरान कर देने वाले रहे.

जब विशेषज्ञों ने ग्रामीणों से सवाल किया कि आप वैक्सीन क्यों नहीं लेते हैं, तो उनका जवाब था कि वैक्सीन लगवाने से इंसान 8 से 9 महीने के भीतर मर जाता है. गांववालों ने इस दौरान कहा कि कोरोना जैसा कुछ नहीं है. इस दौरान कुछ लोग वैक्सीन न लगवाने के बहाने भी मारते नजर आए.

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अकेले राजकोट जिले में ही ऐसे कई गांव हैं, जहां लोग वैक्सीन लेने से इनकार कर रहे हैं. स्थिति ऐसी है कि 20 से ज्यादा गावों में 5 फीसदी से भी कम लोगों का वैक्सीनेशन हुआ है. लगातार मेडिकल टीमें यहां जा रही हैं, लेकिन लोग वैक्सीन नहीं लगवा रहे हैं. गांव के लोग टीकाकरण को लेकर तैयार नहीं हैं. अब मनोवैज्ञानिकों की टीम भी दौरा कर रही है, जिससे वैक्सीन पर फैले भ्रम, लोगों के बीच से दूर हो सके.

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वैक्सीन को लेकर लोगों के भ्रम दूर करती टीम.

अलग-अलग अफवाहों के शिकार ग्रामीण

सौराष्ट्र विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान भवन के अध्यक्ष डॉक्टर योगेश जोगसण ने आजतक से बातचीत में कहा कि मनोवैज्ञानिकों की टीमें गांव-गांव में घूम रही हैं. लोगों की मानसिकता समझने की कोशिश की जा रही है. कुछ ग्रामीणों का कहना है कि हम पर माता की कृपा है, इसलिए वैक्सीन की जरूरत नहीं है, वहीं दूसरे लोगों का मानना है कि वैक्सीन के अलग-अलग प्रकार हैं. एक शहरी लोगों के लिए, दूसरा ग्रामीणों के लिए है.

ग्रामीणों को सता रहा मौत का डर

ग्रामीणों का कहना है कि उन पर माता की कृपा है, इसलिए उन्हें कोरोना नहीं हो सकता. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि वैक्सीन लगवाने के बाद आदमी कुछ वक्त के भीतर ही मर जाता है. वैक्सीन लगवाने के बाद भी कोरोना हो जाता है. मनोवैज्ञानिकों की टीम लोगों को समझाने की कोशिश कर रही है, कि वैक्सीन लगवानी जरूरी है.

सोशल मीडिया पर भी अलग-अलग तरह के अफवाहों से ग्रामीणों में भ्रम फैल रहा है. मनोवैज्ञानिकों की टीमें राजकोट के अमरेली, पोरबंदर, द्वारिका, सुरेंद्र नगर जैसे जिलों में जाकर लोगों का भ्रम दूर कर रही हैं. अगर ऐसे ही अफवाहों का दौर चलता रहा तो कोरोना के खिलाफ लड़ाई बेहद मुश्किल हो जाएगी.

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