पाटण की न्यायिक कोर्ट ने सात साल पहले हुए डमी कैंडिडेट मामले में तीन आरोपियों को एक साल के साधारण कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही 10-10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. जुर्माना न भरने की स्थिति में और दो महीने के साधारण कारावास की सजा सुनाई है.
दरअसल, साल 2018 में पाटण के लॉर्ड कृष्णा साइंस स्कूल के परीक्षा केंद्र पर तीन डमी कैंडिडेट गुजरात शिक्षा बोर्ड की कक्षा 10 की परीक्षा में शामिल हुए थे. इसके बाद उनके खिलाफ स्थानीय पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई थी. इस मामले में स्थानीय न्यायिक कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई और अब 7 साल बाद कोर्ट ने आरोपियों को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई है.
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मामले में सजा सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि इस मामले में दोनों पक्षों के बयानों पर विचार किया गया है. इस घटना में आरोपी के खिलाफ आरोप साबित हुआ है कि वह नकल करने की नीयत से मूल छात्र की जगह परीक्षा देने स्कूल आया था. आरोपियों ने स्कूल संस्थान और (परीक्षा) बोर्ड को धोखा देने की कोशिश की थी और उसके कारण बोर्ड की प्रतिष्ठा को भी नुकसान पहुंचा है.
कोर्ट आगे कहा, ऐसी स्थिति में समाज में इस तरह के अपराध बढ़ रहे हैं और इस मामले में आरोपियों द्वारा किए गए अपराध को देखते हुए उन्हें प्रोबेशन का लाभ नहीं दिया जा सकता है. उन्हें ऐसी सजा दी जानी चाहिए, जो समाज में एक उदाहरण बने.
मामले में सरकारी वकील ने किया ये दावा
सरकारी वकील द्वारा दावा किया गया कि आरोपियों ने गलत नाम और दस्तावेज लेकर किसी अन्य छात्र के लिए परीक्षा दी थी. ऐसा करते समय उन्हें पता था कि उन्हें यह परीक्षा देने का अधिकार नहीं है. जिस तरह से उन्होंने दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ की, उससे साफ पता चलता है कि वे धोखाधड़ी करना चाहते थे. इसीलिए उन्हें सजा देना जरूरी है. जिसके बाद कोर्ट ने तीनों आरोपियों गोविंद ठाकोर, आसिफ मालेक और भरत चौधरी को 1-1 साल की सजा सुनाई और 10-10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया.