
उत्तरी गुजरात के बनासकांठा जिले के टेटोडा गांव में एक गौशाला के अंदर कोविड केयर सेंटर की शुरुआत की गई है. ये अपनी तरह का पहला कोविड केयर सेंटर है. श्री राजाराम गौशाला आश्रम में इस सेंटर की शुरुआत हाल ही में हुई. यहां गाय के दूध और गोमूत्र से बनी आर्युर्वेदिक दवाओं और एलोपैथिक पद्धति दोनों तरह से इलाज किया जाता है.
दीसा तालुका के तहत आने वाले इस गांव में बने इस केंद्र को वेदलक्षणा पंचगव्या आर्युवेद कोविड आइसोलेशन सेंटर का नाम दिया गया है. इस सेंटर को खोलने के पीछे मकसद ग्रामीणों को आइसोलेशन वार्ड की सुविधा देने के साथ कोविड-19 के हल्के लक्षण वाले मरीजों का इलाज करना है.
कोविड केयर सेंटर के संचालक रामरतन महाराज के मुताबिक यहां पंचगव्य के माध्यम से बनी औषधियां मरीजों को दी जाती हैं. इनमें गौमूत्र, दूध,,घी, दही और अन्य जड़ी बूटियों को मिलाकर तैयार किया गया पंचगव्यामृत बतौर औषधि मरीजों को दिया जाता हैं. यहां ऐसे अनाज से बना खाना मरीजों को दिया जाता है जो गोबर और गौमूत्र से तैयार खाद से पैदा किया जाता है.
गौशाला में जहां कोविड सेन्टर बनाया गया हे वहां लगातार पूजा-उपासना, गाय के घी, गूगल जैसी पूजा सामग्री के जरिए हवन किया जाता है, जिससे वातावरण शुद्ध बना रहे.
रामरतन महाराज का यह भी कहना है कि जिन लोगों का ऑक्सीजन लेवल 80 से ऊपर तक रहता है, उन्हीं को यहां एडमिट किया जाता है. सेंटर में ऑक्सीजन का भी इंतजाम किया गया है. मरीज को भर्ती करने से पहले डीसा के सरकारी अस्पताल से उनकी रिपोर्ट ली जाती है.
सेंटर में एक आर्युवेदिक और एक एलोपैथिक डॉक्टर की सेवाएं उपलब्ध हैं. नर्सिंग स्टाफ के सदस्यों की संख्या 5 है. ये हर वक्त मरीजों को मॉनिटर करते हैं. आर्युवेदिक और एलोपैथिक दवाओं के कॉम्बिनेशन के साथ यहां विशेष जोर मरीजों की इम्यूनिटी बढ़ाने पर है. इसके लिए उन्हें शुद्ध दूध, घी, दही और उनसे बनी वस्तुएं देने से लाभ होता है.
श्री राजाराम गौशाला आश्रम में करीब 5,000 गाय हैं, जिनमें 90 से ज्यादा दूधारु हैं. इस आश्रम की बेसहारा गायों के कल्याण के लिए स्थापना की गई थी. वेदलक्षणा कोविड केयर सेंटर में 50 बेड तैयार किए गए हैं. शनिवार तक यहां 40 मरीज भर्ती थे. रामरतन महाराज के मुताबिक जब से सेंटर शुरू हुआ है, यहां 15 से 17 मरीज हमेशा रहते हैं. यहां गर्मी से राहत के लिए सेंटर के आसपास कुदरती तौर पर हरियाली का ध्यान रखा गया है.
पंचगव्य से इलाज को लेकर आजतक ने अहमदाबाद में सिविल कोविड अस्पताल के असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट डॉ राकेश जोशी से बात की. डॉ जोशी के मुताबिक जब मरीज का ऑक्सीजन लेवल अस्सी तक हो जाता है तो उसे 10 से लेकर 15 लीटर ऑक्सीजन की जरूरत होती है. ऐसे में मरीज का एलोपैथिक दवा के बिना ठीक होना असंभव हो जाता है.
हालांकि मरीज का सीटी वैल्यू 5 से 8 के आसपास हो और संक्रमण कम हो तो उसे डॉक्टर की सलाह से दवाएं लेकर आइसोलेशन में रहने के लिए कहा जाता है. इस तरह के मरीजों के लिए इम्युनिटी बढ़ाने में आर्युवेदिक उपचार और डॉक्टर की मॉनिटरिंग कारगर हो सकती है. साथ ही ये मरीज का मनोबल ऊंचा रखने मे भी सहायक होती है. लेकिन कोविड के इलाज के लिए एलोपैथिक दवाएं जरूरी हैं, इस तरह के उपचार सपोर्ट सिस्टम मुहैया करा सकते हैं.
अहमदाबाद की डायटिशियन डॉ.फाल्गुनी पारेख का कहना है कि आम तौर पर कोरोना के इलाज में खाना भी अहम भूमिका निभाता है. हमारे यहां गोल्डन मिल्क का जिक्र होता है. यहां ज्यादातर गाय कांकरेजी है जिनकी वजह से उस गाय के दूध को A2 कहा जाता हैं. साथ ही ऑर्गेनिक फूड से भी फायदा होता हैं, ऐसा हो सकता है कि घर में 14 दिन आइसोलेशन की तुलना में इस तरह के माहौल में मरीज अधिक तेजी से रिकवर करे. लेकिन अधिक संक्रमण वाले मरीजों को डॉक्टर की सलाह के मुताबिक दवाइयां लेना अनिवार्य है.