गुजरात में गौ संरक्षण कानून के बाद अब गायों को लेकर गोसेवा आयोग टूरिज्म लेकर आया है, जिसका मकसद गाय के धर्मिक महत्व के साथ उसकी वैज्ञानिकता को बढ़ावा देना है, ताकि गायों को कत्लखाने में जाने से रोका जा सके.
गुजरात के गिर के शेर जहां देश ओर दुनिया में जाने जाते हैं और जिसे देखने के लिये सालाना लाखों पर्यटक गुजरात आते हैं, वैसे ही अब गुजरात में गाय को लेकर गोसेवा आयोग ने गाय टूरिज्म शुरू किया है. इसके जरिए देश और दुनिया के लोगों को गुजरात की गिर गाय की नस्ल और काकरेज गाय की नस्ल को जानने और समझने का मौका मिलेगा.
पर्यटकों को गोसेवा आयोग गिर गाय की गोशाला में ले जायेगा, जहां गिर गाय की अलग-अलग 18 नस्लों के बारे में जानकारी मिलेगी. ना सिर्फ गिर के गाय का दूध के महत्व बल्कि उससे बनने वाले गोमूत्र के अर्क, गोमूत्र से बनने वाली दवाई और गाय के दूध के फायदों को समझाया जायेगा. यही नहीं अगर कोई गाय को अपने घर में पालना चाहता है तो उसकी भी जानकारी यहां मुहैया करवाई जाएगी.
गिर की बंसरी गोशाला के संस्थापक गोपाल सुतरिया का कहना है कि हमारा मकसद गाय का असली फायदा लोगों को समझाना है, लोगों को और गोपालक को जब तक गाय का दूध मिलता है तब तक वह इसे संभालते हैं लेकिन गाय के पूरे महत्व को नहीं समझते हैं. वहीं गोसेवा आयोग के अध्यक्ष डॉ. वल्लभ कथेरिया का कहना है कि गाय के धर्मिक महत्व के साथ-साथ वैज्ञानिक महत्व को भी समझना बेहद जरूरी है, जिसके लिये हम गाय टूरिज्म लेकर आ रहे हैं.
गाय को हिन्दू शास्त्रों में कामधेनु के तौर पर जाना जाता है, लेकिन उसका वैज्ञानिक महत्व भी काफी है. गाय के जरिये प्रवासन को गाय के धर्मिक, वैज्ञानिक और आर्थिक तीनों महत्व को जोड़कर लोगों को समझाया जाएगा. गोपालकों को भी ये जानकारी नहीं होती है कि वो गाय के दूध के आलावा, गोमूत्र से दवाएं और बायोगैस जैसे कई बाई प्रोडक्ट के जरिये पैसे भी कमा सकते हैं. गो प्रवासन के जरिये अब कई विदेशी लोग भी इस गोशाला को देखने और उसके फायदों को जानने के लिये आ चुके हैं. यहां कई ऐसे लोग भी आ रहे हैं जो खुद गाय का तबेला शुरू करना चाहते हैं.
गौरतलब है कि गुजरात सरकार इससे पहले गाय संरक्षण का कानून लेकर आई है जिसमें गाय को मारने वालों के खिलाफ आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है. अब टूरिज्म के जरिए गाय को कत्ल खाने में जाने से रोकने और उसे बचाने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है.