अहमदाबाद में एक दलित रेजिडेंट डॉक्टर (मेडिकल छात्र) द्वारा आत्महत्या के प्रयास के बाद भीम सेना ने वहां के अस्पताल में जमकर तोड़फोड़ की. भीम सेना के सदस्यों ने कॉलेज के डायरेक्टर हंसा गोस्वामी का विरोध भी किया.
दरअसल, अहमदाबाद के सिविल अस्पताल (बीजे मेडिकल कोलेज) में सर्जरी विभाग के थर्ड ईयर में पढ़ने वाले दलित रेजिडेंट डॉक्टर ने हॉस्टल के रूम में नींद की गोली खाकर आत्महत्या की कोशिश की. इस घटना के बाद भीम सेना के सदस्य वहां आ पहुंचे और सिविल अस्पताल में जमकर तोड़फोड़ की.
भेदभाव का लगाया आरोप
भीम सेना ने मेडिकल कॉलेज के डायरेक्टर हंसा गोस्वामी के दफ्तर में भी तोड़फोड़ की. आत्महत्या की कोशिश करने वाले डॉक्टर ने कॉलेज पर आरोप लगाया कि उसे एक साल के दौरान एक भी सर्जरी नहीं करने दिया गया. साथ ही ऑपरेशन थियेटर में भी उसे वॉचमैन की तरह खड़ा रखा जाता था.
पुलिस को की गई शिकायत में पीड़ित डॉक्टर एम मरीराज ने कहा है कि यहां पढ़ाई करने वाले दूसरे डॉक्टर उसके लिए जाति सूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हैं. जब इस बात की जानकारी वहां के एचओडी को दी गई तो उन्होंने भी किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की.
डायरेक्टर ने 15 दिन तक मंगाई चाय
पीड़ित डॉक्टर ने अत्महत्या का कदम इसलिये उठाया, क्योंकि उसके डिपार्टमेंट के डायरेक्टर ने उसे 15 दिन तक चाय लाने को कहा, लेकिन जब उसने मना किया तो उसे गालियां दीं. इसके बाद उसने इस बात की जानकारी राज्य के एसटी-एसटी आयोग को भी दे दी और नींद की गोली खाकर आत्महत्या का प्रयास किया.
वहीं, सिविल अस्पताल का कहना है कि रेजिडेंन्शियल डॉक्टर को कभी स्वतंत्र रूप से सर्जरी की इजाजत नहीं दी जाती है. हमें पता चला है कि हॉस्टल में इस छात्र का झगड़ा किसी और से हुआ था. इधर, दलित छात्र के आत्महत्या के प्रयास से अचानक जागी विजय रूपाणी सरकार के सामाजिक न्याय विभाग के मंत्री ईश्वर पटेल ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं.