दिल्ली हाईकोर्ट ने गुजरात कैडर के IPS अधिकारी सतीश चंद्र वर्मा को बर्खास्त करने के केंद्र सरकार के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने बर्खास्तगी के खिलाफ वर्मा की याचिका पर आठ हफ्ते में सरकार को जवाब दाखिल करने को कहा है. वर्मा गुजरात के इशरत जहां फर्जी एनकाउंटर मामले की जांच में शामिल रहे हैं. उन्हें रिटायरमेंट से एक महीने पहले ही बर्खास्त कर दिया गया था.
वह 30 सितंबर को रिटायर होने वाले थे लेकिन उन्हें 30 अगस्त को ही बर्खास्त कर दिया गया. जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस तुषार राव गडेला की पीठ ने केंद्र सरकार से आठ हफ्तों के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है. वर्मा ने अपनी बर्खास्तगी के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
पीठ ने कहा, सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए हम 30 अगस्त को याचिकाकर्ता को बर्खास्त करने के फैसले पर रोक नहीं लगा सकते. हालांकि, हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि वर्मा को पेंशन और अन्य लाभ मिलते रहेंगे क्योंकि वे इसके हकदार हैं. इस मामले पर अब अगली सुनवाई 24 जनवरी 2023 को होगी.
बता दें कि वर्मा पर शिलॉन्ग में नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन के मुख्य सतर्कता अधिकारी के पद पर रहते हुए मीडिया से जानकारी साझा करने का आरोप भी लगा था. बता दें कि 15 जून 2004 को अहमदाबाद के बाहरी इलाके में 19 साल की इशरत जहां गुजरात पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में मारी गई थी.
इस मुठभेड़ में जावेद शेख उर्फ प्रणेश पिल्लई, अमजद अली अकबरअली राणा और जीशान जौहर भी मारे गए थे. पुलिस का दावा था कि मुठभेड़ में मारे गए चारों लोग आतंकवादी थे. वर्मा ने अप्रैल 2010 और अक्टूबर 2011 के बीच इशरत जहां मामले की जांच की थी और अपनी जांच रिपोर्ट के आधार पर ही विशेष जांच टीम ने कहा था कि यह एनकाउंटर फर्जी था.