गुजरात के पाटन में एक डॉक्टर ने ऑपरेशन के बाद बैंडेज मरीज के शरीर में ही छोड़ दी. जुर्माने के तौर पर अब उन्हें आठ लाख रुपये मरीज को देने होंगे. मामले में वह इंश्योरेंसकंपनी भी दोषी बनाई गई जिसने अस्पताल का बीमा किया. लिहाजा अब पूरे 12 साल तक 9 फीसदी ब्याज दर पर इंश्योरेंस कंपनी को पैसे चुकाने होंगे. इसके अलावा मरीज ने कोर्ट-कचहरी में जो परेशानी झेली और खर्च किया उसके एवज में 10 हजार रुपये भी देने होंगे.
ममाला 2002 का है जब गायनाकोलॉजिस्ट डॉ. वंदना अमिन ने सूरत की रहने वाली मीताबेन पटेल के यूटरस का ऑपरेशन किया. सर्जरी के बाद कपड़े का एक टुकड़ा मरीज के शरीर में ही रह गया. फिर पीड़िता को दूसरे जगह ऑपरेशन करवाना पड़ा तब जाकर उसके शरीर से कचरा निकाला जा सका. लेकिन तब तक उसके शरीर को काफी नुकसान हो चुका था.
साल 2003 में महिला ने उपभोक्ता अदालत का रुख किया और मुआवजे के तौर पर 10 लाख रुपये मांगे. मामले की सुनवाई पूरी होने पर कोर्ट ने कहा, 'डॉक्टर की लापरवाही से मरीज की अंतड़ी खराब हो गई. इसलिए डॉक्टर को 8 लाख रुपये का जुर्माना मरीज को देना होगा.' कोर्ट ने बीमा कंपनी को भी मामले में दोषी बनाया.
डॉक्टर और बीमा कपंनी ने कोर्ट के आदेश के खिलाफ गुजरात स्टेट कंस्यूमर डिस्प्यूट रीड्रेस कमीशन में अपील की. लेकिन यहां भी फैसला मरीज के हक में आया.