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कभी तूती बोलती थी तोगड़िया की, आज आंखों में आंसू-एनकाउंटर का डर

16 साल की उम्र में यानी 1971 में वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्णकालिक स्वयंसेवक बन गए. आरएसएस प्रचारक रामेश्वर पालीवाल रे के मार्गदर्शन में युवा तोगड़िया ने स्वयंसेवक के रूप में अपना जीवन शुरू किया.

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डॉ. प्रवीण तोगड़िया
डॉ. प्रवीण तोगड़िया

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विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर प्रवीण तोगड़िया एक बार फिर चर्चा में है. पहली बार तोगड़िया को मीडिया के सामने अपने एनकाउंटर का डर बताकर सुबकते हुए देखा गया. तोगड़िया का ये रूप उनकी अब तक मीडिया और जनता के बीच बनी छवि से प्रतिकूल है. तोगड़िया अपने भड़काऊ भाषणों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ आग उगलने के लिए ज्यादा जाने जाते हैं लेकिन आज जब वो मीडिया के सामने आए तो उनके निशाने पर न तो अल्पसंख्यक थे और न ही उनकी चिर प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस. बल्कि तोगड़िया इशारों-इशारों में अपनी ही केंद्र सरकार से अपने एनकाउंटर का डर बताते नजर आए. तोगड़िया बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे हैं और सर्जन हैं जो खुद का अस्पताल भी चलाते हैं.

डॉ. प्रवीण तोगड़िया का जन्म गुजरात के अमरेली में 1956 में हुआ था. वे सौराष्ट्र के किसान परिवार में जन्मे और पटेल समुदाय से आते हैं. 10 वर्ष की आयु में वे अहमदाबाद चले गए और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल हो गए. पढ़ाई के लिए वो अमरेली से अहमदाबाद आए. वो बचपन से ही पढ़ने में अव्वल रहे. इसी उम्र में वे संघ से भी जुड़ गए और संघ की शाखाओं में जाना उनकी नियमित दिनचर्या में शुमार हो गया. संघ का कामकाज और पढ़ाई साथ-साथ चलती रही. तोगड़िया मेडिकल के स्टूडेंट रहें और उन्होंने पहले एमबीबीएस फिर एमएस की पढ़ाई पूरी की.

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16 साल की उम्र में यानी 1971 में वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्णकालिक स्वयंसेवक बन गए. आरएसएस प्रचारक रामेश्वर पालीवाल रे के मार्गदर्शन में युवा तोगड़िया ने स्वयंसेवक के रूप में अपना जीवन शुरू किया. बाद में उन्हें संघ के ही अनुषांगिक संगठन विश्व हिंदू परिषद की जिम्मेदारी दी गई.

1983 में सिर्फ 27 साल की उम्र में तोगड़िया विहिप से जुड़े. राम मंदिर आंदोलन में उनकी सक्रिय भूमिका देखते हुए उन्हें वीएचपी का महासचिव बनाया गया और अशोक सिंघल के देहांत को बाद तोगड़िया वीएचपी के अध्यक्ष बने. तब से वे इसी पद पर बने हुए हैं. वीएचपी 33 हजार से अधिक गांवों और शहरों में उपस्थिति वाला संगठन है. भारत और विदेशों में सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक स्तर पर हिंदुओं के लिए काम करने वाले इस संगठन के करीब 20 लाख सदस्य हैं. विश्व हिंदू परिषद के अपने व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद तोगड़िया ने एक डॉक्टर में रूप में अपना कामकाज जारी रखा. वो महीने में एक सप्ताह रोगियों की जांच के लिए देते हैं. अहमदाबाद में उन्होंने धनवंतरी अस्पताल की स्थापना भी की है.

डॉक्टर प्रवीण तोगड़िया को कट्टर हिंदूवादी नेता माना जाता है. वे अक्सर अपने भड़काऊ बयानों के लिए खबरों मंे रहते हैं. वाजपेयी सरकार में अपने त्रिशूल दीक्षा कार्यक्रम के लिए तोगड़िया काफी विवादों में रहे थे. उस समय गुजरात में सरकार किसी की भी हो लेकिन तोगड़िया वहां बड़ी ताकत हुआ करते थे. तोगड़िया के रुतबे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अपने बयानों और कार्यक्रमों के चलते वे वाजपेयी सरकार के लिए भी मुश्किलें खड़ी किया करते थे. हालांकि गुजरात में नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके इस रुतबे में कमी आई और आज उनके बारे में कहा जाता है कि वो हाशिए पर धकेल दिए गए हैं. आज जिस तरह प्रेसवार्ता में तोगड़िया भावुक दिखे इसमें उनके इसी दर्द को देखा जा रहा है..

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