गुजरात के पोरबंदर में Drishti-10 ड्रोन क्रैश कर गया है. ड्रोन एक्सेप्टेंस ट्रायल के दौरान दुर्घटना का शिकार हो गया. यह हादसा तब हुआ जब वेंडर द्वारा इसकी ऑपरेशनल टेस्टिंग की जा रही थी. इसके बाद ही इस यएवी को भारतीय नौसेना में शामिल किया जाना था.
दृष्टि-10 जैसे मानवरहित ड्रोन का इस्तेमाल आमतौर पर मैरिटाइम सर्विलांस के लिए किया जाता है. इसे टोही के लिए इस्तेमाल किए जाने के लिए भी डिजाइन किया गया है. टेस्टिंग के दौरान यूएवी ने हवा में ही कमांड खो दिया और समुद्र में जा गिरा. इस ड्रोन हादसे में किसी तरह के जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है.
मैन्यूफैक्चरर को दिए गए थे ड्रोन्स को ऑर्डर
ड्रोन के दुर्घटनाग्रस्त होने के मामले में एक जांच भी शुरू की गई है. यह देखा जा रहा है कि आखिर ड्रोन में क्या खराबी आ गई, जिससे कमांड सिस्टम ने काम करना बंद कर दिया. भारतीय सेना और नौसेना दोनों ही डिफेंस फोर्सेज ने इस ड्रोन के दो-दो यूनिट्स के प्रोक्योरमेंट के लिए ड्रोन मैन्यूफैक्चरर को ऑर्डर दिए थे.
जरूरतों के हिसाब से इसका प्रोक्योरमेंट तत्काल किया जाना था. इससे मैरिटाइम लेवल पर सुरक्षा को मजबूती देने की योजना थी, लेकिन अब इस हादसे के बाद इस डील को लेकर कुछ स्पष्ट जानकारी खबर लिखे जाने तक सामने नहीं आई है.
रक्षा मंत्रालय लोकल लेवल पर मैन्यूफैक्चरिंग को दे रहा बढ़ावा
भारतीय रक्षा मंत्रालय हाल के महीने में मेक इन इंडिया को मजबूती देने के लिए स्थानीय स्तर पर ही ड्रोन निर्माण को बढ़ावा दे रहा है. इससे रक्षा बलों को सस्ता और बेहतरीन हथियार मुहैया कराने का टार्गेट है. इसके लिए सरकार प्राइवेट कंपनियों के साथ मिलकर हथियारों का निर्माण कर रही है, और इसके निर्माण को बढ़ावा दे रही है.