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गुजरात के अमरेली में फिर दहली धरती, एक दिन में तीसरी बार आया भूकंप

इलाके में एक ही दिन में ये तीसरी बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. जिसके चलते भी लोग घबरा गए और अपने-अपने घरों से बाहर निकल आए. भूकंप का केंद्र अमरेली से 44 किमी दूर बताया गया है. इससे पहले सुबह भी दो बार भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. जिनकी तीव्रता 3.1 और 3.4 रही.

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गुजरात में भूकंप के झटके
गुजरात में भूकंप के झटके

गुजरात के अमरेली में गुरुवार देर रात भूकंप के झटके महसूस किए गए. जिसके बाद लोग अपने-अपने घरों से बाहर निकल आए. हालांकि भूकंप इतना तेज नहीं था, लेकिन हाल ही में तुर्की और सीरिया में आए भूकंप से मची तबाही के चलते लोगों में खौफ है. जानकारी के मुताबिक रात में करीब 11 बजकर 35 मिनट पर भूकंप के झटके महसूस किए गए. जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.4 मापी गई है. फिलहाल किसी तरह के नुकसान की जानकारी नहीं है.

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इलाके में एक ही दिन में ये तीसरी बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. जिसके चलते भी लोग घबरा गए और अपने-अपने घरों से बाहर निकल आए. भूकंप का केंद्र अमरेली से 44 किमी दूर बताया गया है. इससे पहले सुबह भी दो बार भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. जिनकी तीव्रता 3.1 और 3.4 रही. 

भारत में भी तुर्की जैसे भूकंप की चेतावनी

बता दें कि हैदराबाद में नेशनल जियो फिजिकल रिसर्च इंस्टिट्यूट के सीस्मोलॉजी विभाग के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ एन पूर्ण चंद्र राव ने चेतावनी दी है कि भारत का उत्तराखंड इलाका और पश्चिमी नेपाल का हिस्सा जिस स्थिति में है ऐसे में वहां कभी भी तुर्की जैसा भूकंप आ सकता है. तुर्की में 7.8 मेग्नीट्यूड वाला भूकंप आया था जिसके चलते 45000 से ज्यादा लोगों की जान गई है. डॉ राव के मुताबिक उत्तराखंड का खासकर हिमालयन इलाका जो कि पश्चिमी नेपाल से सटा हुआ है यह सीस्मिक जोन 4 की कैटेगरी में आता है और यहां कभी भी बड़ा भूकंप नहीं आया है लेकिन जमीन के भीतर हो रहे बदलाव के चलते ऐसा भूकंप आना तय है लेकिन इसकी तारीख या समय सीमा नहीं बताई जा सकती.

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उनके मुताबिक पूरा हिमालय रीजन जम्मू कश्मीर से लेकर के अरुणाचल प्रदेश तक 4 और 5 की कैटेगरी में आता है जो कि भूकंप प्रभावी क्षेत्र हैं. रिक्टर स्केल पर 8 की तीव्रता तक का भूकंप आखरी बार हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में 50 के दशक में देखा गया था और 90 के दशक में बिहार- नेपाल के बॉर्डर पर ऐसा एक भूकंप आया था लेकिन उसके बाद हाल-फिलहाल के सालों में इस पूरे हिमालयन रीजन में 8 की तीव्रता का भूकंप नहीं आया है.

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