राज्यसभा के चुनाव गुजरात में पहली बार नोटा (नन ऑफ द एबव) का विकल्प विधायकों को इस्तेमाल करने के लिए दिया जाएगा. दरअसल सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक चुनाव आयोग गुजरात में भी राज्यसभा के चुनाव में 5वें विकल्प के तौर पर नोटा को रखेंगे.
गौरतलब है कि तीसरे विकल्प के तौर पर बीजेपी ने बलवंत सिंह राजपूत को कांग्रेस प्रत्याशी अहमद पटेल के सामने उतारा है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक कोई भी विधायक अपने पार्टी के जरिए दिए गए व्हिप का अगर विरोध करता है या फिर क्रॉस वोटिंग करता है तो उसे 6 साल के लिए चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगा दी जाती है.
ऐसे में नोटा एक ऐसा विकल्प है जिसे अपनाने पर विधायक को सिर्फ पार्टी अपने पक्ष से बाहर कर सकती है, लेकिन उस पर चुनाव लड़ने के लिए कोई पाबंदी नहीं लग सकती है. बीजेपी की रणनीति और ये विकल्प कांग्रेस उम्मीदवार अहमद पटेल के लिए हार का सबब बन सकता है. जिसका सीधा फायदा बीजेपी प्रत्याशी बलवंत सिंह राजपूत को होगा.
आपको याद दिला दें कि चुनाव आयोग ने 2013 में इस संबंध में निर्देश जारी किया था. कांग्रेस के डी. वेंकटेश्वर राव ऐसे पहले विधायक थे. जिन्होंने वर्ष 2014 में आंध्र प्रदेश में राज्यसभा चुनाव के दौरान नोटा का इस्तेमाल किया था. नोटा प्रत्याशियों के नाम के बाद अंकित होता है.