विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने फिर एक बार राज्यसभा के लिए गुजरात से नामांकन भरा. नामांकन के बाद विदेश मंत्री ने आजतक से खास बातचीत की जिसमें उन्होंने अपने राज्यसभा कार्यकाल से लेकर विदेश मंत्री रहते मिली चुनौती पर बात की. गुजरात की तीन राज्य सभा सीटों के लिए 24 जुलाई को चुनाव होना है और 13 जुलाई नामांकन का आखरी दिन है.
निर्विरोध चुना जाना तय
विदेश मंत्री डॉक्टर एस जयशंकर ने अपनी सीट से नामांकन किया और उनका निर्विरोध चुना जाना तय है. भाजपा ने अभी सभी नामों की घोषणा नहीं की है पर अपने विदेश दौरे के चलते विदेश मंत्री ने आज नामांकन किया. नामांकन के वक्त उनके साथ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सी आर पाटिल, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल समेत पूरा मंत्री मंडल मौजूद रहा.
'गुजरात से राज्यसभा में जाना गौरव का विषय'
आजतक से खास बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले 4 साल मेरा सौभाग्य रहा कि गुजरात के साथ जुड़ने का अवसर मिला. मैं जब भी भारत की पहचान बाहर रखता हूं उसमें मुझे गुजरात का अनुभव और लाभ मिला. गुजरात में नर्मदा जिले में सांसद निधि से काम किया है. वही बात मैंने दूसरे देशों के मंत्रियों को बताई, गुजरात से ही गिफ्ट दिए. गुजरात से राज्यसभा में जाना गौरव का विषय है. गुजरात से बहुत कुछ सीखा हूं.
'विदेश नीति में हमेशा चुनौतियां रहती हैं'
विदेश मंत्री के तौर पर रही मुश्किल चुनौतियों के बारे मे उन्होंने कहा, विदेश नीति में हमेशा चुनौतियां रहती हैं. काफी चुनौतियां रही, पिछले 9 साल में सभी देश सकारत्मक तरीके से देखते हैं, वैक्सीन मैत्री भी सफल रही. लेटिन अमरिका और अफ्रीकी देशों ने बार बार यह कहा कि कोविड के समय सिर्फ भारत ही था जिसने दूसरे देशों की मदद की.
'श्रीलंका आर्थिक संकट से जूझ रहा है पर भारत ने हमेशा साथ दिया'
पड़ोसी देशों मे श्रीलंका आर्थिक संकट से जूझ रहा है पर भारत ने हमेशा साथ दिया है. IMF से ज्यादा सहायता भारत ने की है. चीन के साथ सीमा पर चुनौती है उसका हम सामना कर रहे हैं, सेना भी सीमा पर है. पाकिस्तान के साथ लंबे समय से मुद्दे है पर हम उसका मुकाबला कर रहे हैं, उनको भी मैसेज मिल रहा है. आज सभी विकसित देश हैं वो इनवेस्टमेंट के लिए भारत आना चाहते हैं. पीएम के अमरिका दौरे में गूगल ने अपना फिन टेक सेंटर गुजरात में बनाने की घोषणा की. सेमी कंडक्टर क्षेत्र मे दुनिया बड़ी कंपिनयों में से एक आज गुजरात पहुंची है.
वहीं खालिस्तान मुद्दे पर उन्होंने कहा कि यह विषय कुछ ऐसे देश में है जहां हम बात कर रहे हैं. कुछ देशों को हमने समझाया और उन्होंने हमारे विचार को समझा है और खण्डन भी करते हैं. कुछ देश समझ रहे हैं, कुछ उनको जगह दे रहे हैं. फ्रीडम ऑफ स्पीच हम भी मानते हैं पर उस का दुरूपयोग नहीं होना चाहिए. उन देशों से बातचीत जारी है और प्रतिबंध लगाने की बात की है.