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Ghatlodiya Assembly Seat: घाटलोडिया में पाटीदार और रबारियों का प्रभुत्व, कैसे बना BJP का मजबूत गढ़

घाटलोडिया सीट अहमदाबाद के शहरी इलाके की सीट में आती है. इस सीट को बीजेपी की सीट से जाना जाता है. इस सीट का सीमांकन ही कुछ इस तरह से किया गया है कि यहां पर एक भी मुस्लिम वोटर नहीं है. यहां तक की इस सीट पर माना जाता है कि यहां पार्टी महत्व रखती है व्यक्ति नहीं. बीजेपी यहां से किसी को भी टिकट दे दे उसकी जीत को निश्चित माना जाता है.

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भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस में मुकाबला
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स्टोरी हाइलाइट्स
  • आनंदीबेन पटेल 2016 तक घाटलोडिया से रहीं विधायक
  • सीएम भूपेंद्र ने 2017 में 1 लाख 75 हजार वोट से जीता चुनाव

अहमदाबाद शहर की घाटलोडिया (41) विधानसभा सीट को पाटीदार बहुल इलाके के तौर पर जानी जाती हे. यहां करीब 2.50 लाख वोटर है. 2012 में सरखेज विधानसभा सीट के परिसीमन के बाद घाटलोडिया सीट बनी. जहां पिछले दो बार से बीजेपी का दबदबा है और दोनों ही बार ये सीट सीएम सीट के तौर पर भी मानी गई. 

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घाटलोडिया सीट पर पाटीदार और रबारी दोनों का प्रभुत्व है. 2012 में आनंदीबेन पटेल यहां से चुनावी मैदान में उतरी थीं. आनंदीबेन पटेल 1 लाख 54 हजार वोटों के साथ चुनाव जीती थीं. जब तत्कालीन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 2014 में लोकसभा चुनाव लड़कर केंद्र में सरकार बनाकर प्रधानमंत्री बने तो आनंदीबेन पटेल को मुख्यमंत्री बनाया गया. आनंदीबेन पटेल 2016 तक घाटलोडिया विधानसभा सीट से विधायक रहीं. लेकिन 2017 चुनाव से पहले आनंदीबेन पटेल को बतौर मुख्यमंत्री हटाया गया और आनंदीबेन पटेल को उत्तर प्रदेश का गवर्नर बना दिया गया. 

2017 के चुनाव से पहले जब गुजरात में पाटीदार आंदोलन हुआ तो पाटीदार आंदोलन का सबसे ज्यादा असर घाटलोडिया विधानसभा सीट पर देखने मिला था. लेकिन यहां पर पाटीदार बीजेपी के विरोधी नहीं थे. यहीं वजह है कि 2017 में आनंदीबेन पटेल के उत्तर प्रदेश के गवर्नर बनने के बाद आनंदीबेन के करीबी भूपेंद्र पटेल को घाटलोडिया विधानसभा सीट से टिकट दिया गया. भूपेंद्र पटेल यहां से 2017 में 1 लाख 75 हजार वोट के साथ चुनाव में जीत हासिल की.

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घाटलोडिया सीट पर अब तक दो विधानसभा चुनाव हुए हैं. दोनों ही बार बीजेपी की जीत हुई है. इस सीट से  गुजरात के मुख्यमंत्री  भूपेंद्र पटेल ने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और उनकी जीत हुई. भूपेंद्र पटेल खुद पाटीदार समाज से आते हैं. 1982 में डिप्लोमा इन सिविल इंजीनियरिंग की पढाई करने वाले भूपेंद्र पटेल ने घाटलोडिया सीट पर नगर पालिका से चुनाव लड़ने की शुरुआत की थी.

जिसके बाद वो नगर पालिका के अध्यक्ष बने. फिर अहमदाबाद म्युनिसिपल चुनाव आने के बाद उन्होंने बतौर पार्षद चुनाव लड़ा था. पार्षद के तौर पर वो अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन में बतौर स्कूल बोर्ड के चेयरमैन और स्टैंडिंग कमिटी के चेयरमेन के तौर पर काम किया था. पहली बार उन्होंने 2017 में विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीत मिली. 

2021 में जब विजय रुपाणी को मुख्यमंत्री पद से हटाया गया तो अचानक ही भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बना दिया गया. भूपेंद्र पटेल को गुजरात में दादा के नाम से भी जाना जाता है. भूपेंद्र पटेल दादा भगवान के अनुयायी है.  

साल 2012 के चुनाव में आनंदीबेन पटेल के सामने कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ने वाले रमेश भाई पटेल को 44 हजार वोट ही मिले थे. जबकि आनंदीबेन पटेल को 1 लाख 54 हजार वोट मिले थे. वहीं 2017 में घाटलोडिया सीट जो की पाटीदार आंदोलन के बावजूद यहां कांग्रेस के शशिकांत पटेल को 57902 वोट मिले थे. जबकि भूपेंद्र पटेल को 1 लाख 75 हजार वोट मिले थे.

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