गिर के जंगल में लगातार हो रही शेरों की मौत पर गुजरात हाईकोर्ट ने नाराजगी जतायी है. हाईकोर्ट ने अपने अवलोकन में कहा है कि गिर में 'लायन शो' के लिए जिस तरह मुर्गी शेर को परोसी जाती है, शेर को सड़े हुए जानवर खाने पड़ रहे हैं और इस वजह से उनमें वायरस जैसी बीमारियां आ रही हैं.
गुजरात हाईकोर्ट ने बुधवार को गिर के जंगल में गैरकानूनी तरीके से 'लायन शो' दिखाने वाले एक शख्स की जमानत याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि गिर में गैरकानूनी तरीके से 'लायन शो' और शेर को परेशान किए जाने पर सवाल खड़े किए हैं. गौरतलब है कि अब तक गिर के जंगल में 23 शेरों की मौत हो चुकी है. जबकि, 9 से ज्यादा शेरों की हालत बेहद गंभीर बताई जा रही है. वहीं, लगभग 25 शेरों का जशाधार ऐनिमल मेडिकल सेन्टर में ट्रीटमेन्ट किया जा रहा है.
एक के बाद एक शेरों की मौत को लेकर जो पहली रिपोर्ट आई है उसमें वन विभाग की ओर से कहा गया है कि शेर की मौत प्रोटोजुआ वायरल इन्फेक्शन की वजह से हुई है.
गिर वनविभाग के मुताबिक...
> 12 सितम्बर से लेकर 2 अक्टूबर के बीच 23 शेरों की मौत हुई है.
> 11 सितम्बर से 19 सितम्बर के बीच 11 शेरों की मौत हुई है.
> 20 से 30 सितम्बर के बीच 10 शेरों की मौत हुई है.
> 30 सितम्बर से 2 अक्टूबर के बीच 2 शेरों की मौत हुई है.
> 7 शेर जंगल में मृत हालत में पाये गये थे.
> 16 शेरों की मौत इलाज के दौरान हुई है.
दरअसल, शेरों की मौत अब तक सिर्फ गिर के जंगल में अमरेली के दलसानिया रेंज के इलाके में ही हुई है. इस पूरे रेंज में दूसरे जितने भी शेर थे उन सभी को मेडिकल सेन्टर में ट्रीटमेंट और वेक्सीनेशन के लिए ले जाया गया है. साथ ही उनके अगल-अलग सैंपल लिए जा रहे हैं, जिन्हें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे में भेजा गया है.
गौरतलब है कि पिछली बार गुजरात हाईकोर्ट में प्राणी प्रेमियों के जरिये पीआईएल फाइल की गयी थी, जिसके जवाब में जून 2018 में गुजरात सरकार ने कहा था कि 2016-17 के बीच 184 शेरों की मौत हुई थी. इनमें से 158 शेर प्राकृतिक मौत मरे थे, जबकि 32 शेरों की अप्राकृतिक मौत हुई थी.