गुजरात के जिस मोरबी ब्रिज हादसे में 135 लोगों की जान चली गई. अब उस घटना के पीछे भयंकर लापरवाही की बात सामने आ रही है. मोरबी ब्रिज हादसे को लेकर SIT की रिपोर्ट आई है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि आखिर इस हादसे की वजह क्या थी और हादसे के पीछे आखिर कौन जिम्मेदार था?
SIT की रिपोर्ट में कहा गया है कि मोरबी ब्रिज हादसे के लिए नगर पालिका के साथ-साथ ओरेवा कंपनी भी जिम्मेदार है. रिपोर्ट में बताया गया है कि मोरबी नगरपालिका के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और चीफ ऑफिसर ने एग्रीमेंट को ठीक तरह से नहीं लिया. आगे यह भी कहा गया है कि टेक्निकल एक्सपर्ट को कंसल्ट किए बिना ही ब्रिज की रिपेयरिंग का काम किया गया.
रिपोर्ट में आगे यह भी कहा गया है कि मोरबी पुल को लटकाने वाली 49 में से 22 केबल बद्तर हालत में थीं. इन 22 केबलों में जंग लग गई थी. यह भी अंदेशा जताया जा रहा है कि ये केबल सबसे पहले टूटी होंगी. इतना ही नहीं नए सस्पेन्सर लगाने के साथ पुराने सस्पेन्सर को भी वेल्डिंग कर दिया गया था. बता दें कि ओरेवा कंपनी ने ब्रिज के रिपेयरिंग का काम आउटसोर्स कर दिया था.
ये रिपोर्ट दिसंबर 2022 में पांच सदस्यीय एसआईटी द्वारा प्रस्तुत 'मोरबी ब्रिज हादसा पर प्रारंभिक रिपोर्ट' का हिस्सा है. रिपोर्ट को हाल ही में राज्य शहरी विकास विभाग ने मोरबी नगर पालिका के साथ साझा किया था.
143 साल पुराना था मोरबी का ब्रिज
मोरबी का 765 फीट लंबा और 4 फुट चौड़ा पुल 143 साल पुराना था. इस पुल का उद्घाटन 1879 में किया गया था. इस केबल ब्रिज को 1922 तक मोरबी में शासन करने वाले राजा वाघजी रावजी ने बनवाया था. वाघजी ठाकोर ने पुल बनाने का फैसला इसलिए लिया था, ताकि दरबारगढ़ पैलेस को नजरबाग पैलेस से जोड़ा जा सके.