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गुजरात: ट्रेन के लोको पायलट की सतर्कता से बची 8 शेरों की जान

गुजरात के भावनगर जिले में बीते दो दिनों में भटके 8 शेरों की जान ट्रेन के लोको पायलट की सूझबूझ से बच गई. अगर लोको पायलट सूझबूझ नहीं दिखाए होते तो शेरों की जान भी जा सकती थी.

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ट्रेन के लोको पायलट की सतर्कता से बची 8 शेरों की जान (सांकेतिक तस्वीर)
ट्रेन के लोको पायलट की सतर्कता से बची 8 शेरों की जान (सांकेतिक तस्वीर)

गुजरात के भावनगर जिले में पिछले दो दिनों से 8 शेर भटक गए थे. ये शेर भटकते-भटकते  रेलवे ट्रैक पर आ गए थे. हालांकि एक मालगाड़ी और एक यात्री ट्रेन के सतर्क लोको पायलटों ने समय रहते ब्रेक लगा दिए. जिससे शेरों की जान बच गई. इस बात की जानकारी एक अधिकारी ने रविवार को एक न्यूज एजेंसी को दी.

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भावनगर के वरिष्ठ मंडल वाणिज्यिक प्रबंधक माशूक अहमद ने बताया कि पश्चिमी रेलवे के भावनगर मंडल के लोको पायलटों की सतर्कता और वन विभाग के ट्रैकर्स की मदद से इस वित्तीय वर्ष में अब तक 104 शेरों की जान बचाई जा चुकी है.

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जानकारी के अनुसार गुरुवार को हापा से पिपावाव बंदरगाह की ओर जा रही मालगाड़ी चला रहे लोको पायलट धवलभाई पी ने राजुला शहर के पास पांच शेरों को ट्रैक पार करते देखा. जिसके बाद सतर्क लोको पायलट ने ट्रेन को रोकने और शेरों को सुरक्षित रास्ता देने के लिए आपातकालीन ब्रेक लगाए.

जिसके बाद वन रक्षक के मौके पर पहुंचने और सभी स्थितियों को सामान्य पाए जाने के बाद ट्रेन को आगे बढ़ा दिया गया. इसी तरह शुक्रवार को पैसेंजर ट्रेन चला रहे लोको पायलट सुनील पंडित ने चलाला-धारी सेक्शन में दो बच्चों के साथ एक शेरनी को ट्रैक पार करते देखा और इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन को रोक दिया.

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सूचना मिलने पर एक वन रक्षक मौके पर पहुंचा. उसने देखा कि शेर रेलवे ट्रैक से दूर चले गए हैं. जब सभी स्थितियां सामान्य पाई गईं, तो वन रक्षक ने लोको पायलट को जाने के लिए कहा. 

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आपको बता दें कि पिपावाव बंदरगाह को उत्तरी गुजरात से जोड़ने वाली रेलवे लाइन पर एशियाई शेरों की ट्रेनों की चपेट में आने से या तो मौत हो गई है या वे गंभीर रूप से घायल हुए हैं. जिसको लेकर गुजरात उच्च न्यायालय ने चिंता जताते हुए अधिकारियों को ऐसी घटनाओं से बचने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) बनाने का निर्देश दिया है.

इसके तहत भावनगर डिवीजन ने ट्रेनों का संचालन करने वाले लोको पायलटों को निर्धारित गति का पालन करते हुए विशेष सतर्कता के साथ काम करने का निर्देश दिया है. राज्य वन विभाग ने शेरों को ट्रेनों की चपेट में आने से बचाने के लिए नियमित अंतराल पर ट्रैक के किनारे बाड़ भी लगाई है.

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