कोरोना वायरस संकट के बीच गुजरात के अहमदाबाद के CIMS अस्पताल में एक कोविड मरीज को मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल (MAC) थेरेपी दी गई. गुजरात में एंटीबॉडी कॉकटेल देने वाला अहमदाबाद का ये अस्पताल पहला निजी केंद्र बन गया है. भारत में इस महीने की शुरुआत में ही इस चिकित्सा को मंजूरी मिली थी.
दरअसल, कोरोना महामारी से लड़ने के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल (MAC) थेरेपी शुरू की गई है. 'एंटीबॉडी कॉकटेल' दो दवाइयों का मिक्सचर है, जो कोरोना से लड़ने में किसी मरीज की शक्ति को बढ़ाती है. हल्के लक्षणों वाले कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए भारत में MAC उपचार शुरू किया गया है.
अहमदाबाद के CIMS अस्पताल में एक 38 वर्षीय (पुरुष) मरीज को कासिरिविमाब (Casirivimab) और इम्देवीमाब (Imdevimab) दवाओं की एंटीबॉडी कॉकटेल दी गई. इस तरीके का उपचार शुरू करने वाला ये अहमदाबाद का पहला अस्पताल है. CIMS अस्पताल की ओर से संक्रामक रोग विभाग प्रमुख, डॉ सुरभि मदान ने इस बारे में जानकारी दी है.
डॉ सुरभि मदान के मुताबिक, कॉकटेल उपचार की सिफारिश केवल कोविड संक्रमण के शुरुआती चरणों में और उच्च जोखिम वाले मरीजों के लिए की जाती है. यह वही थेरेपी है जो पिछले साल पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को मिली थी.
उन्होंने यह भी कहा कि कोविड के उन मरीजों के लिए इस दवा की सिफारिश नहीं की जाती है, जिन्हें हाइपोक्सिया की मध्यम या गंभीर बीमारी है. CIMS अस्पताल की कोविड केयर टीम के अनुसार, कोविड संक्रमण के शुरुआती चरणों में उच्च जोखिम वाले मरीजों को एंटीबॉडी कॉकटेल थेरेपी दी जा सकती है, जिसमें हल्के लक्षण दिखाई देते हैं और उन्हें ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं हो.
आपको बता दें कि ये एंटीबॉडी कॉकटेल एक तरह का इम्युनिटी बूस्टर है, इसे किसी शख्स के कोरोना पॉजिटिव होने के 48 से 72 घंटे के अंदर दिया जाता है. बताया जा रहा है कि ये दवाई देने में 20 से 30 मिनट का वक्त लगता है.