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गुजरात में न तो कांग्रेस का अध्यक्ष और न ही प्रभारी, कैसे जीतेगी 2022 का चुनाव?

गुजरात निकाय चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद से प्रदेश संगठन में बड़े फेरबदल की संभावना जताई जा रही है, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है. वहीं, गुजरात कांग्रेस प्रभारी एवं सांसद राजीव सातव के कोरोना से निधन से पार्टी उबर नहीं पाई. प्रदेश की कमान किसी के पास और न ही कोई प्रभारी बनाया गया है. ऐसे में कांग्रेस कैसे मिशन 2022 को फतह कर पाएगी?

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राहुल गांधी
राहुल गांधी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • तीन महीनेे से कांग्रेस अध्यक्ष का पद खाली है
  • कांग्रेस के प्रभारी का पद भी सातव के बाद से रिक्त
  • गुजरात विधानसभा चुनाव में 18 महीने बाकी हैं

गुजरात में अगले साल आखिर में विधानसभा चुनाव होने है, लेकिन ढाई दशक से सत्ता से बाहर कांग्रेस की हालत जस की तस बनी हुई है. महानगर पालिका जिला पंचायत, नगर पालिका चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद से प्रदेश संगठन में बड़े फेरबदल की संभावना जताई जा रही है, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है. वहीं, गुजरात कांग्रेस प्रभारी एवं सांसद राजीव सातव के कोरोना से निधन से पार्टी उबर नहीं पाई. प्रदेश की कमान किसी के पास और न ही कोई प्रभारी बनाया गया है. ऐसे में कांग्रेस कैसे मिशन 2022 को फतह कर पाएगी? 

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गुजरात निकाय चुनाव में मिली हार के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अमित चावड़ा ने इस्तीफा दे दिया था, जिसके पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने स्वीकार भी कर लिया था. कांग्रेस अध्यक्ष के पद खाली हुए तीन महीने हो रहे हैं. वहीं, राजीव सातव के कोरोना से निधन हुए एक महीने हो रहा है, लेकिन अभी तक हाईकमान न तो पार्टी अध्यक्ष तलाश सका है और न ही किसी को प्रभारी नियुक्त किया गया है. 

गुजरात में कांग्रेस के प्रभारी के साथ पार्टी आलाकमान को नए अध्यक्ष की भी तलाश करनी है. 2022 में राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी पूरी तरह से सक्रिय हो गई है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटील और मुख्यमंत्री विजय रुपाणी के नेतृत्व में पिछले काफी समय से संगठन और सरकार एक्शन में है. वहीं, बिना नेतृत्व के कांग्रेस अपने नेताओं की गुटबाजी और खींचतान में उलझी हुई है, जिसके चलते नेता से लेकर कार्यकर्ता तक असमंजस में हैं. 

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर पार्टी यह तय नहीं कर पा रही है कि किस समुदाय पर दांव खेले. गुजरात की सियासत में ओबीसी, पाटीदार और आदिवासी समुदाय अहम भूमिका में हैं. ऐसे में शनिवार को भारत सोलंकी, पूर्व सांसद जगदीश ठाकोर, विधायक गेनीबेन ठाकोर, चंदन ठाकोर सहित करीब एक दर्जन से अधिक ओबीसी नेताओं की बैठक हुई, जिसमें प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए भरत सिंह सोलंकी को बनाने की मांग उठी. हालांकि, पिछले चुनाव में भी भरत सिंह सोलंकी के हाथ में पार्टी की कमान रही थी. 

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बता दें कि. गुजरात कांग्रेस प्रभारी एवं सांसद राजीव सातव के कोरोना वायरस संक्रमित होने तथा बाद में उनकी निधन से पार्टी उबर नहीं पाई. साल 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मुख्य लड़ाई में लाने के पीछे अशोक गहलोत की अहम भूमिका रही थी. गहलोत ने गुजरात के तमाम समुदाय के लोगों को साधने के साथ-साथ राहुल गांधी का कैंपेन प्लान बनाया था. इसका पार्टी को जबरदस्त फायदा मिला था. कांग्रेस को इस बार भी ऐसे ही प्रभारी की तलाश है. 

ऐसे में गुजरात के प्रभारी के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के प्रभारी रह चुके अविनाश पांडे को प्रबल दावेदार माना जा रहा है. इसके पीछे वजह यह है कि अविनाश पांडे संगठन के आदमी माने जाते हैं और 2018 में राजस्थान में पार्टी को जिताने में उन्होंने अहम किरदार अदा किया था. इसके अलावा उनको अशोक गहलोत का करीबी भी माना जाता है और वह राहुल के भरोसेमंद भी हैं. 

वहीं, प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री भरत सिंह सोलंकी और कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद शक्ति सिंह गोहिल का नाम लिया जा रहा है. भरत सोलंकी यूपीए सरकार में मंत्री रह चुके हैं और पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. वहीं, राज्यसभा सदस्य शक्ति सिंह गोहिल कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के काफी करीबी माने जाते हैं. ऐसे में देखना है कि पार्टी चुनावी सरगर्मी बढ़ने से पहले किसे कमान सौंपती है. 

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