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गुजरात के बीजेपी सांसद मनसुख वसावा का पार्टी से इस्तीफा, संसद सदस्यता भी छोड़ेंगे

भरुच से बीजेपी सांसद मनसुखभाई धनजीभाई वसावा ने 28 दिसंबर को गुजरात के प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सी.आर पाटिल को पत्र लिखकर अपने फैसले की जानकारी दी.

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मनसुख वसावा
मनसुख वसावा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • भरूच से लोकसभा सांसद हैं मनसुख वसावा
  • आदिवासी समुदाय से आते हैं सांसद वसावा
  • हाल में उठाया था समुदाय से जुड़ा मुद्दा

गुजरात में भारतीय जनता पार्टी के लिए एक झटका देने वाली खबर है. यहां के भरूच से लोकसभा सांसद मनसुख वसावा ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. साथ ही जल्द ही संसद की सदस्यता से भी इस्तीफा देने की बात कही है. 

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भरुच से बीजेपी सांसद मनसुखभाई धनजीभाई वसावा ने 28 दिसंबर को गुजरात के प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सी.आर पाटिल को पत्र लिखकर अपने फैसले की जानकारी दी. मनसुव वसावा ने किस कारण इस्तीफा दिया ये अभी तक पूरी तरह स्पष्ट नहीं हो पाया है.

प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष को भेजे गए पत्र में मनसुख वसावा ने लिखा है कि उन्होंने पार्टी के साथ वफ़ादारी निभाई है. साथ ही पार्टी और जिंदगी के सिद्धांत का पालन करने में बहुत सावधानी रखी है, लेकिन आखिरकार मैं एक इंसान हूं और इंसान से गलती हो जाती है. इसलिए मैं पार्टी से इस्तीफा देता हूं. वसावा ने ये भी कहा कि लोकसभा सत्र शुरू होने से पहले वो सांसद पद से भी इस्तीफा दे देंगे.

गौरतलब है कि मनसुख वसावा हाल ही में अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहे हैं. गुजरात के सीएम विजय रुपाणी को पत्र लिखकर वसावा ने कहा था कि गुजरात में आदिवासी महिलाओं की तस्करी हो रही है. इसके अलावा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के संंबंध में उन्होंने पीएम मोदी को भी एक पत्र लिखा था. 

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इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबकि, इसी महीने मनसुख वसावा का पीएम मोदी को लिखा गया पत्र सामने आया जिसमें उन्होंने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के आसपास इको-सेंसेटिव जोन रद्द करने की मांग की थी. पत्र में अपने इस आवेदन के पीछे मनसुव वसावा ने इलाके के आदिवासी समुदाय के 'विरोध को कम करने' की वजह बताई थी.

मनसुख वसावा खुद एक आदिवासी नेता हैं और वो इस समुदाय की लंबे समय से राजनीति करते आए हैं.

 

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