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गुजरात: मंत्रिमंडल में नितिन पटेल-चुडास्मा कैसे होंगे एडजस्ट, नए चेहरों को मिलेगा मौका?

गुजरात में विजय रुपाणी की कुर्सी जाने के बाद बीजेपी के दिग्गज नेता नितिन पटेल, भूपेंद्र सिंह चुडास्मा, आरसी फाल्दू और कौशिक पटेल के सियासी भविष्य को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.

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भूपेंद्र पटेल और नितिन पटेल
भूपेंद्र पटेल और नितिन पटेल
स्टोरी हाइलाइट्स
  • भूपेंद्र पटेल सरकार के मंत्रिमंडल का अब गठन होगा
  • नितिन पटेल की नई सरकार में क्या भूमिका होगी
  • बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं की कुर्सी जानी तय है

गुजरात के नए मुख्यमंत्री के रूप में भूपेंद्र पटेल शपथ ले चुके हैं और अब मंत्रिमंडल के गठन की कवायद चल रही. नए मंत्रियों का नाम को लेकर मंथन चल रहा है. विजय रुपाणी की कुर्सी जाने के बाद बीजेपी के दिग्गज नेता नितिन पटेल, भूपेंद्र सिंह चुडास्मा, आरसी फाल्दू और कौशिक पटेल के सियासी भविष्य को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. मोदी से लेकर आनंदीबेन और रुपाणी सरकार तक में मंत्री रहे वरिष्ठ नेताओं को नए सीएम के साथ कैसे एडजस्ट किया जाएगा? 

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गुजरात में अगले साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी अपने वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती. ऐसे में पार्टी पुराने मंत्रियों को समझा-बुझाकर खुश रखने की पूरी कोशिश में जुटी हैं. बीजेपी की सबसे बड़ी चिंता पाटीदार समुदाय से आने वाले नितिन पटेल भी हैं, जो इशारों-इशारों में सीएम की पोस्ट न मिलने की नाखुशी जाहिर कर चुके हैं. ऐसे में पार्टी नहीं चाहती कि नितिन पटेल के मन में किसी तरह की नाराजगी रहे. 

निटिन पटेल को कैसे करेगी बीजेपी एडजस्ट

पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी और डिप्टीसीएम नितिन पटेल को बीजेपी नेता मनाने और उन्हें साधकर रखने में जुट गई है. बीजेपी आलानेताओं के बीच मंगलवाल शाम दो घंटे बैठक हुई. गुजरात बीजेपी के प्रभारी भूपेंद्र यादव और संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने गुजरात के पूर्व  विजय रुपाणी, नीतिन पटेल और भुपेंद्र सिंह चुडास्मा के साथ मंथन किया. माना जा रहा है कि बीजेपी की यह कवायद वरिष्ठ नेताओं को समझाने और उनकी नाराजगी को दूर करने की है. 

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दरअसल, गुजरात की सियासत में पाटीदार समुदाय के सबसे बड़े नेता के तौर पर नितिन पटेल का नाम आता है. इसी के चलते दो बार सीएम बनाने की चर्चाएं जोरो पर रही, लेकिन उन्हें डिप्टी सीएम के पद से ही संतोष करना पड़ा. इस बार भी मुख्यमंत्री पद की रेस में नितिन पटेल का नाम चल रहा था, लेकिन बीजेपी ने उन्हीं के पाटीदार समुदाय से आने वाले भूपेंद्र पटेल के नाम पर मुहर लगा दी है. इसके चलते नितिन पटेल के डिप्टी सीएम की कुर्सी पर भी संकट मंडराने लगा है, क्योंकि सीएम और डिप्टी सीएम दोनों ही पद पर एक ही समाज को देने की संभावना कम है.

भूपेंद्र पटेल के शपथ ग्रहण में शामिल होने आए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी सोमवार रात गुजरात छोड़ने से पहले नितिन पटेल और बीजेपी प्रदेश सीआर पाटिल से मुलाकात की थी. उम्मीद जताई जा रही है कि इस दौरान उन्होंने कैबिनेट विस्तार पर भी दोनों नेताओं के साथ चर्चा की होगी. इससे पहले सोमवार को अकेले ही मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और अब नए मंत्रिमंडल के नामों पर कयास बाजी चल रही है. 

मंत्रिमंडल में वरिष्ठ नेताओं का समायोजन

गुजरात के नए मंत्रिमंडल में वरिष्ठ नेताओं को बीजेपी कैसे समायोजित करे यह सबसे बड़ी चिंता बन गई है, क्योंकि ज्यादातर नए चेहरों को शामिल करने की प्लानिंग चल रही हैं. वहीं, पिछली रुपाणी सरकार में नितिन पटेल डिप्टीसीएम के साथ वित्त मंत्री थे तो भूपेंद्र सिंह चुडास्मा शिक्षा मंत्री का जिम्मा संभाल रहे थे. आरसी फाल्दू कृषिमंत्री के रूप में काम कर रहे थे जबकि कौशिक पटेल राजस्व मंत्री थे. बीजेपी के यह चारो नेता पुराने और गुजरात के सियासत के बड़े माने जाते हैं. 

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पुराने नेताओं की कैबिनेट से होगी छुट्टी

बीजेपी 2022 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए मुख्यमंत्री के साथ-साथ सरकार का भी चेहरा बदलना चाहती है. ऐसे में मंत्रिमंडल के पुराने नेताओं की छुट्टी की जानी है और उनकी जगह युवा व नए चेहरों को कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है. सूत्रों की मानें तो बाचुभाई खाबाद, वासणभाई आहिर, किशोर कनानी, योगेश पटेल, धर्मेन्द्र जाडेजा विभावरी दवे और कुंवरजी बावलिया की मंत्रिमंडल से छुट्टी हो सकती है. 

नए चेहरे को मंत्री बनने का मिलेगा मौका?

वहीं, सूत्रों की मानें तो रुपाणी सरकार में मंत्री रहे गणपत वसावा, प्रदीप सिंह जाडेजा, जयेश रादडिया, दिलीप ठाकोर, ईश्वर पटेल और आरसी फाल्दू को भूपेंद्र पटेल सरकार में भी मंत्री बनाए रखा सकता है. इसके अलावा नए चेहरे के तौर पर किरीटसिंह राणा, शंशिकांतपंड्या, आत्मा राम परमार और  गोविंद पटेल को मंत्री बनाया जा सकता है. गुजरात के जातीय समीकरण का संतुलन बनाने के लिए बीजेपी आदिवासी नेता गणपत वसावा को बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है. इसके बावजूद बीजेपी के सबसे बड़ी चिंता पुराने नेताओं की नाराजगी को दूर करने की है, जिसे लेकर पार्टी में बैठकों के दौर जारी है. 


 

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