गुजरात सेंट्रल यूनिवर्सिटी (CUG) ने उन नौ टीचर्स को कारण बताओ नोटिस जारी किया है, जिन्होंने कथित तौर पर बीजेपी विरोधी उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार किया था और राहुल गांधी के कार्यक्रम में शामिल हुए थे. ऐसा शायद किसी यूनिवर्सिटी में पहली बार हुआ है.
आरोप है कि इन शिक्षकों ने पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के नेता अल्पेश ठाकोर, निर्दलीय उम्मीदवार जिग्नेश मेवाणी और पाटीदार नेता हार्दिक पटेल समेत बीजेपी विरोधी कई दलों के उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार किया था. इन पर यह भी आरोप है कि वे कांग्रेस नेता राहुल गांधी के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, यूनिवर्सिटी ने यह कार्रवाई इसके बावजूद की है कि, शिकायत करने वालों की पहचान साफ नहीं है. अंग्रेजी में लिखी यह शिकायत आरएसएस से जुड़े छात्र संगठन एबीवीपी के द्वारा की गई है, जिसके अंत में लिखा गया है- सीयूजी एबीवीपी के छात्र. हालांकि, अखबार ने जब स्थानीय एबीवीपी पदाधिकारियों से संपर्क किया तो उन्होंने ऐसी किसी शिकायत से इंकार किया.
केंद्रीय एचआरडी मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को संबोधित इस लेटर में इस बात के 'दस्तावेजी साक्ष्य' के रूप में टीचर्स की एक फोटो पेश की गई है जिसमें वे कथित तौर पर पिछले साल नवंबर में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के अहमदाबाद के एक कार्यक्रम में शामिल हुए दिख रहे हैं. दो अन्य फोटोग्राफ भी हैं जिनमें राहुल गांधी के साथ बैठे एक प्रोफेसर दिख रहे हैं.
इस फोटो पर किसी तिथि का उल्लेख नहीं है. रोचक बात यह है कि यह शिकायत 17 नवंबर, 2017 को ही की गई थी, जबकि अहमदाबाद में कांग्रेस की नवसर्जन ज्ञान अधिकार सभा 24 नवंबर, 2017 को आयोजित की गई थी. शिकायत में कहा गया है कि ये टीचर 'गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय को दूसरा जेएनयू बना रहे हैं.'
यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर सैयद अब्दुल बारी ने इस बात की पुष्टि की कि यह कार्रवाई एचआरडी मंत्रालय , गुजरात के मुख्य चुनाव अधिकारी (CEO) और राज्य शिक्षा विभाग के द्वारा भेजे गए संदर्भ के आधार पर की गई है. शिकायत की प्रति उक्त सभी को भी भेजी गई थी.
एक शिक्षक ने कहा कि किसी कार्यक्रम में शामिल होने का मतलब यह नहीं कि कोई व्यक्ति किसी राजनीतिक दल का प्रचार कर रहा है. गौरतलब है कि नियमों के मुताबिक कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी राजनीतिक दल से नहीं जुड़ सकता और न ही उसके लिए प्रचार कर सकता.