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सूरत: कोरोना से परिवार के मुखिया की मौत हो जाने पर, एक सदस्य को नौकरी दिलाने में लगा ये संगठन

कोरोना काल का सबसे ज्यादा असर उन परिवारों पर पड़ा है, जहां कोरोना की वजह से परिवारो में इकलौते कमाने वाले व्यक्ति की ही मौत हो गई है. गुजरात के सूरत शहर में ऐसे ही परिवारों की मदद करने के लिए चैंबर ऑफ कॉमर्स आगे आया है.

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The Southern Gujarat Chamber of Commerce (file photo)
The Southern Gujarat Chamber of Commerce (file photo)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कोरोना पीड़ितों की मदद के लिए सामने आया संगठन
  • सूरत का चैंबर ऑफ कॉमर्स दे रहा है नौकरी
  • लोगों को मुसीबत के समय नौकरी दिला चुका संगठन

कोरोना काल जब से शुरू हुआ है तब से ही इंसानों की जिंदगी जैसे तबाह ही हो गई है. कोरोना काल का सबसे ज्यादा असर उन परिवारों पर पड़ा है, जहां कोरोना की वजह से परिवारो में इकलौते कमाने वाले व्यक्ति की ही मौत हो गई है. गुजरात के सूरत शहर में ऐसे ही परिवारों की मदद करने के लिए चैंबर ऑफ कॉमर्स आगे आया है. चैंबर ऑफ कॉमर्स ने मृतक के परिवार वालों में से योग्य व्यक्ति को नौकरी दिलाने की पहल शुरू की हैं.

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सूरत के नानपुरा इलाके में 'द सदर्न साउथ गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स इंडस्ट्रीज' का कार्यालय है. चैंबर में आज कल वो लोग नौकरियों की जानकारी लेने आ रहे हैं जिनके परिवार में से कोरोना की दूसरी लहर में किसी ना किसी की मौत हुई है.

चैंबर द्वारा जॉब दिए जाने की पहल के बारे में सुनकर सूरत में रहने वाले अंकित व्यास और रोनिश पटेल भी यहां नौकरी के बारे में पूछने के लिए पहुंचे. इनके परिवार से भी कोरोना की दूसरी लहर में किसी ना किसी की जान गई है. अंकित व्यास पहले ट्रांसपोर्ट लाइन में काम भी करते थे लेकिन वो ट्रांसपोर्ट ऑफिस भी कोरोना काल में बंद हो गई और वो बेरोजगार हो गए.

पिता की मौत से अंकित पर बढ़ा बोझ

अंकित के पिता की कोरोना की वजह से मौत हो गई है, पहले उनके पिता के कंधों पर ही घर के खर्च की जिम्मेदारी थी. एक तरफ अंकित बेरोजगार हैं दूसरी तरफ पिता नहीं रहे, इस कारण उनके परिवार की हालत अत्यधिक खराब हो गई है. इस कारण अंकित के लिए चैंबर ही एकमात्र आस है. इसी उम्मीद में अंकित चैंबर की ऑफिस इंटरव्यू देने आए हैं.

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अंकित व्यास की तरह ही रोनिश पटेल के पिता की कुछ ही दिन पहले कोरोना से मौत हो गई है. उनका घर भी पिता की ही कमाई से चलता था. लेकिन पिता की मौत के बाद उनके घर पर संकट का पहाड़ टूट पड़ा है. रोनिश ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर ली है, वे भी चैंबर की ऑफिस में नौकरी के लिए इंटरव्यू देने के लिए आए हैं.

चैंबर के प्रमुख दिनेश भाई नावड़िया सूरत महानगर पालिका की सीमा में रहने वाले उन परिवारों के किसी ना किसी सदस्य को नौकरी देने की कोशिश कर रहे हैं जिन परिवारों के मुखिया की कोरोना से मौत हुई है और कमाने वाला कोई नहीं रह गया है. ऐसे परिवारों के लोगों को चैंबर की ऑफिस में बुलाया जाता है और उनका बायोडेटा लेकर योग्यता अनुसार सम्बंधित व्यापारिक प्रतिष्ठान को भेज दिया जाता है. दिनेश भाई नावड़िया की माने तो इस तरह से वो कई लोगों को नौकरी दिलाने में सफल हुए हैं.

 

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