गुजरात में चांदीपुरा वायरस का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. अब तक चांदीपुरा में 27 संदिग्ध मामले सामने आ चुके हैं और 15 की मौत हो चुकी है. सबसे ज्यादा मामले साबरकांठा और अरावली में सामने आए हैं. यहां 4-4 मामले सामने आए हैं. 27 में से 24 मामले गुजरात के हैं, जबकि 3 मामले दूसरे राज्यों से गुजरात आए हैं.
बता दें कि राज्य के 12 जिलों में संदिग्ध मामले सामने आए हैं. अहमदाबाद शहर में भी 2 संदिग्ध मामले सामने आए हैं. बढ़ते केसों को ध्यान मे रखते हुए गुरुवार को गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंस करेंगे. स्वास्थ्य मंत्री अधिकारियों को निर्देश देंगे.
गुजरात में 8500 से ज्यादा घरों और 47 हजार से ज्यादा लोगों का स्क्रीनिंग किया गया है. राज्य सरकार ने सभी के लिए एडवाइजरी जारी की है. चांदीपुरा वायरस की खबर आने के बाद से पूरे देश में हड़कंप मचा हुआ है. देश की हेल्थ एजेंसियां अलर्ट हो गई हैं.
चांदीपुर वायरस के कारण अरावली साबरकांठा के ग्रामीण इलाकों में संक्रमण का माहौल है. चांदीपुर वायरस के अब तक 15 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से अब तक 8 बच्चों की मौत हो चुकी है. इस वायरस को लेकर आजतक ने ग्राउंड रिपोर्ट की...
किसी ने नहीं सोचा होगा कि 1965 में पहली बार सामने आया चांदीपुरा वायरस एक बार फिर कहर बरपाएगा. अरावली साबरकांठा जिले के ग्रामीण इलाकों में चांदीपुरम वायरस के 15 से ज्यादा सक्रिय मामले सामने आ चुके हैं......तो आजतक की टीम इस वायरस की हकीकत जानने के लिए अरावली जिले के बड़ा कंथारिया गांव पहुंची जहां वायरस के असर से एक परिवार ने अपनी बेटी को खो दिया है.
आजतक की टीम जब बड़ा कंथारिया गांव में बच्ची के घर पहुंची तो वहां का नजारा देखकर आप भी भावुक हो जाएंगे. चांदीपुर वायरस से मरने वाली छह साल की किंजल के पिता के पास एक बच्चा तक नहीं है. साबरकांठा के हिम्मतनगर सिविल अस्पताल में संदिग्ध चांदीपुर वायरस के लिए आठ नमूने पुणे प्रयोगशाला में भेजे गए थे, जिनमें से चार नमूनों के परिणाम आज घोषित किए गए, जिनमें से अरावली भिलोडा की छह वर्षीय बेटी की इस वायरस से मृत्यु हो गई.
अभी तक पूरे विश्व में इस वायरस के लिए कोई विशेष दवा नहीं मिल पाई है. ऐसे हालात में यदि निकट भविष्य में चांदीपुरा का कोई मामला आता है, तो सबसे पहले उसका सैंपल प्रयोगशाला में भेजना होगा और यदि किसी बच्चे को तेज़ बुखार हो या सिर या शरीर पर सूजन होने पर तुरंत नजदीकी सिविल अस्पताल से संपर्क करने की अपील की गई है.
वहीं डॉक्टर्स का कहना है कि यह वायरस मक्खियों से ज्यादा फैलता है. पहले 24 से 72 घंटे बेहद अहम है. क्योंकि उसी वक्त इसकी घातकता ज्यादा होती है अगर इतने समय मे अस्पताल पहुंच गए तो इलाज मुमकिन है.
क्या हैं चांदीपुरा वायरस के लक्षण?
चांदीपुरा वायरस होने से रोगी को बुखार की शिकायत होती है. इसमें फ्लू जैसे ही लक्षण होते हैं और तेज एन्सेफलाइटिस होती है. एन्सेफलाइटिस एक ऐसी बीमारी है, जिससे दिमाग में सूजन की शिकायत होती है.
क्या है चांदीपुरा वायरस?
चांदीपुरा वायरस एक RNA वायरस है, जो सबसे ज्यादा मादा फ्लेबोटोमाइन मक्खी से फैलता है. इसके फैलने के पीछे मच्छर में पाए जाने वाले एडीज जिम्मेदार हैं. साल 1966 में पहली बार महाराष्ट्र में इससे जुड़ा केस मिला था. नागपुर के चांदीपुर में इस वायरस की पहचान हुई थी, इसलिए इसका नाम चांदीपुरा वायरस पड़ गया. इसके बाद इस वायरस को साल 2004 से 2006 और 2019 में आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में रिपोर्ट किया गया.
चांदीपुरा वायरस से 15 साल से कम उम्र के बच्चे सबसे ज्यादा शिकार होते हैं. इस उम्र के बच्चों में ही सबसे ज्यादा मृत्यु दर देखी गई है. चांदीपुरा के इलाज के लिए अभी तक कोई भी एंटी वायरल दवा नहीं बनाई जा सकी है.