गुजरात कांग्रेस अदंरूनी कलह से जूझ रही है. साल 2019 में जब पाटीदार नेता हार्दिक पटेल कांग्रेस में शामिल हुए थे, तो ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि उनकी वजह से राज्य में कांग्रेस को फायदा होगा. जैसी परिस्थितियां अब बन रही हैं, उसके मुताबिक हार्दिक पटेल अब पार्टी के अंदर गुटबाजी का शिकार हो रहे हैं.
राज्य की राजनीति पर नजर रखने वाले जानकारों का कहना है कि कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल, कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजी का शिकार हो रहे हैं. बीते लंबे वक्त से गुजरात कांग्रेस में उन्हें साइड लाइन किया जा रहा है. इसकी शुरुआत नगर निगम पालिका के चुनाव से नजर आई. सूत्रों के मुताबिक स्थायी निकाय चुनाव में कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी की मीटिंग में कार्यकारी अध्यक्ष होने के बावजूद उन्हें शामिल नहीं किया गया है.
हार्दिक पटेल के करीबी नेताओं की मानें तो हार्दिक पटेल को स्थानीय कांग्रेस किसी भी कार्यक्रम के लिए जानकारी नहीं देती है. कोरोना के बावजूद गुजरात में बिगड़े हालात को लेकर जब गुजरात कांग्रेस के नेता राज्यपाल के घर मिलने गए तो हार्दिक पटेल को जानकर दूर रखा गया. ऐसा सिर्फ इसलिए किया गया, जिससे उन्हें मीडिया कवरेज न मिल सके.
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कार्यकारी अध्यक्ष, लेकिन बैठकों की सूचना नहीं!
कार्यकारी अध्यक्ष होने के बाद भी पीसीसी और जिला अध्यक्ष की मीटिंग में भी उन्हें नहीं बुलाया जाता है. उनकी गैरहाजिरी से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में कई तरह की सुगबुगाहट है.
हार्दिक के करीबी लोगों का कहना है कि उनके पिता की मौत के बाद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने फोन पर बातचीत की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, जेपी नड्डा, गुजरात के मुख्यमंत्री समेत कई दिग्गज नेता उनके पिता की मौत पर दुख जता चुके हैं. गुजरात कांग्रेस के किसी भी नेता ने दुख नहीं जताया है.
क्या दल बदलेंगे हार्दिक पटेल?
पाटीदार नेता और कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष होने के बावजूद हार्दिक पटेल लगातार स्थानीय नेताओं की उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं. 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले हार्दिक पटेल की अनदेखी, आम आदमी पार्टी(AAP) की ओर से मिला ऑफर और बीजेपी नेताओं का हार्दिक पटेल के प्रति नर्म रवैया, उन्हें दल-बदल के लिए मजबूर भी कर सकता है.