गुजरात में गोहत्या को लेकर गुजरात सरकार ने इस साल बेहद कड़ा कानून बनाया है. हालांकि गुजरात में 2011 के कानून के तहत अब तक सिर्फ एक ही शख्स को सजा हुई है. जबकि इस कानून के तहत पूरे राज्य में हजारों मामले दर्ज हुए हैं.
यहां हम आपको बता दें कि गुजरात के नवसारी जिले के गणदेवी तालुका के रहने वाले रफीक खलीफा को 28 मई, 2016 को गाय का मांस रखने के जुर्म में स्थानीय अदालत द्वारा तीन वर्ष की कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी. सरकारी वकील एमएन वसावा के अनुसार 2011 के संशोधन के बाद यह पहला मामला था, जिसमे सजा सुनाई गई है.
गुजरात मे गोहत्या या गोमांस के वहन को लेकर वर्ष 2011 मे तत्कालीन राज्य सरकार ने गुजरात एनिमल प्रिजर्वेशन एक्ट 1954 में सुधार कर गोहत्या व गोमांस की हेराफेरी पर प्रतिबंध लाद कर कानून सख्त करने की कोशिश की. उसके बाद गत 7 वर्षों मे हजारों की संख्या में राज्य मे गोहत्या या गोमांस की हेराफेरी के केस पुलिस थानों मे दर्ज हुए. हालांकि इस बीच कोर्ट मे पेश हुए अपराधियों मे से सिर्फ नवसारी जिले के गणदेवी के रफीक इस्माइल खलीफा को 8 अक्टूबर 2014 के रोज स्थानीय गोरक्षकों के हाथों पकडा गया था. उसे 8 मई, 2016 को गाय का मांस रखने के जुर्म में स्थानीय अदालत द्वारा तीन वर्ष की कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी. सरकारी वकील एमएन वसावा के अनुसार 2011 के संशोधन के बाद यह पहला मामला था, जिसमे सजा सुनाई गई है.
क्या कहते हैं सरकारी वकील?
इस पूरे मामले में गणदेवी कोर्ट के सरकारी वकील एम.एन.बसावा कहते हैं कि कोर्ट में पशु अधिनियम के तहत केस चला था. इसमें आरोपी रफीक इस्माइल खलीफा को 3 साल की कैद और 10,000 रुपये का जुर्माना बतौर सजा दी गई.
बीते दिनों गुजरात विधानसभा में सख्त हुए हैं कानून
गौरतलब है कि गुजरात सरकार ने गत दिनों विधान सभा मे गोहत्या या उनकी तस्करी तथा गोमांस की हेराफेरी पर सख्ती बरतते हुए कानून को और सख्त किया है. इस कानून के तहत 7 साल से लेकर उम्र कैद तक की सजा का प्रावधान है. दक्षिण गुजरात की बात करें तो यहां के गोरक्षक गोवंश को बचाने के लिए दिन-रात एक करते हैं. गोमांस की तस्करी से लेकर गोहत्या करने वालों को पकड़ कर पुलिस के हवाले करते हैं. ऐसे में गोसंरक्षण बोर्ड के चेयरमैन वल्लभ कथेरिया कहते हैं 2017 में कानून बनने के बाद अब कोई भी शख्स आसानी से जमानत पर रिहा नहीं हो सकेगा. हालांकि साल 2007 से 2011 के बीच जिस तरह इस कानून का पालन हुआ है. उसे देखते हुए यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह कानून वाकई धरातल पर आएगा या फिर किताबों में ही रह जाएगा. क्या वाकई लोगों पर सख्त कार्रवाई होंगी.