नौ साल पहले हुई कथित फर्जी मुठभेड़ के दौरान गुजरात अपराध शाखा के अधिकारियों ने अपने स्वचालित एवं अर्ध-स्वचालित हथियारों का इस्तेमाल कर इशरत जहां तथा तीन अन्य पर 70 राउंड फायरिंग की थी. यह जानकारी सीबीआई सूत्रों ने दी है.
सीबीआई सूत्रों ने बताया कि वारदात को मुठभेड़ की शक्ल देने की कोशिश में अपराध शाखा के कमांडो मोहन कलश्व ने कथित तौर पर एके-56 स्वचालित राइफल से पुलिस की सरकारी जिप्सी पर फायरिंग की थी.
बताया जाता है कि यह एके-56 राइफल खुफिया ब्यूरो (आईबी) की सहयोगी इकाई सब्सिडियरी इंटेलिजेंस ब्यूरो (एसआईबी) की ओर से मुहैया करायी गयी थी. सीबीआई के आरोप-पत्र में ये सारी जानकारी दी गयी है.
सूत्रों ने बताया कि उन्होंने आरोप-पत्र में लिखा है कि अपराध शाखा ने किस तरह एके-56 राइफल खरीदी और बाद में इसे अमजद अली राणा के पास रख दिया. राणा भी इशरत एवं दो अन्य के साथ 15 जून 2004 को हुई कथित फर्जी मुठभेड़ में मारा गया था.
सीबीआई सूत्रों ने बताया कि मुठभेड़ को अंजाम देने वाली टीम के दो अधिकारी आई के चौहान और कमांडो मोहन नानजी ने मारे गए चारों लोगों - इशरत, जावेद शेख, अमजद अली राणा और जीशान जोहर पर गोलियां चलाने से इनकार कर दिया था. उनके इनकार के बाद मोहन कलश्व और तरूण बारोट ने अपने हथियार निकाले और चारों को मौत की नींद सुला दिया.
सीबीआई सूत्रों ने कहा कि जांच में खुलासा हुआ कि सबसे ज्यादा गोलियां कलश्व ने चलायीं. उसने अपनी एके-47 राइफल से पहले 32 गोलियां दागीं और बाद में नानजी की बंदूक लेकर इशरत और तीन अन्य पर फिर 10 गोलियां चलायीं. सीबीआई जांच के मुताबिक, एन के अमीन, जे जी परमार, तरूण बारोट, मोहन कलश्व और अनाजू जिमन चौधरी कथित तौर पर उस गोलीबारी में शामिल थे जिसमें इशरत एवं तीन अन्य मारे गए.
सूत्रों ने कहा कि आरोप पत्र में उन्होंने विस्तार से बताया है कि गुजरात अपराध शाखा के किस अधिकारी ने किस हथियार से कितनी गोलियां चलायीं.
आरोप पत्र के मुताबिक अमीन ने अपनी 9 एमएम की पिस्तौल से पांच गोलियां चलायीं, परमार ने अपनी रिवॉल्वर से चार गोलियां चलायीं, बारोट ने अपनी रिवॉल्वर से छह गोलियां दागीं और चौहान की रिवॉल्वर से भी उसने तीन गोलियां चलायीं, कलश्व ने अपनी ए.के. 47 से 32 जबकि नानजी की ए के 47 से 10 गोलियां दागी जबकि चौधरी ने अपनी स्टेनगन से 10 गोलियां चलायीं.
सूत्रों के मुताबिक जांच एजेंसी की तफ्तीश से पता चला है कि गोलीबारी दो चरणों में हुई. पहले चरण में बारोट और कलश्व ने अपने हथियार की गोलियां खत्म कर गोली चलाना बंद कर दिया. इसके बाद चौहान और नानजी ने गोलियां चलानी शुरू की.
सीबीआई ने अपने आरोप पत्र में कहा कि यह कथित मुठभेड़ गुजरात पुलिस और एसआईबी अहमदाबाद की संयुक्त कार्रवाई थी जिसमें एसआईबी के तत्कालीन संयुक्त निदेशक राजेंद्र कुमार, जो अब आईबी के विशेष निदेशक हैं, ने अहम भूमिका निभायी.
सूत्रों ने बताया कि वह अगले छह हफ्ते में एक अनुपूरक आरोप पत्र दायर करेगी. अभी कुमार और एसआईबी में उस वक्त तैनात रहे- एम के सिन्हा, राजीव वानखेड़े, टी मित्तल एवं अन्य अधिकारियों की भूमिका की जांच जारी है.
आरोप-पत्र में सीबीआई ने कुमार को आरोपी नहीं बनाया है पर यह जरूर कहा है कि मुठभेड़ में मारी गयी इशरत एवं तीन अन्य से उन्होंने उस वक्त पूछताछ की थी जब चारों को गैर-कानूनी हिरासत में रखा गया था.