राज्य सरकार की ओर से पारित गुजरात निजी स्कूल फीस नियमन अधिनियम 2017 के बाद भी स्कूलों की ओर से मनमानी फीस वसूलने के खिलाफ गुजरात सरकार कड़े कदम उठाने वाली है. गुरुवार को शिक्षा मंत्री भूपेंद्र सिंह चुडास्मा ने कहा कि स्कूल की मनमानी अब नहीं चलेगी. फीस को लेकर छात्रों का भविष्य खराब नहीं होना चाहिए.
शिक्षा मंत्री भूपेंद्र सिंह चुडास्मा ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के तहत अब स्कूल की मनमानी के खिलाफ कड़े कदम उठाएंगे. राज्य सरकार की ओर से फीस को लेकर नई कमिटी भी बनायी गयी है. स्कूल प्रशासन को सरकार की नयी गाइड लाइन को मानना पड़ेगा. कानून सरकार की ओर से बनाया गया है उसे 2017-2018 से लागू किया गया है.'
सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के मुताबिक, जिन स्कूलों ने ज्यादा फीस वसूले हैं, उनको अभिभावकों को वापिस भी करना होगा. दरअसल, इस कानून के तहत प्राइमरी शिक्षा में सभी स्कूलों के लिए एक ही फीस 15,000 तय की गई है. वहीं, सेकेण्डरी के लिये 22,000 और हायर सेकेण्डरी के लिये 25,000 फीस तय की गई है.
दिलचस्प बात ये है कि, इस बार सरकारी कानून के चलते कई अभिभावकों ने कानून के मुताबिक फीस दी है. लेकिन फाइनल परीक्षा में कई स्कूलों ने छात्रों को हॉल टिकट नहीं दिया था. जिस पर सरकार ने अपना रुख साफ करते हुए कहा है कि, स्कूल को सरकार के नियम को मानना ही पड़ेगा. वो छात्रों के भविष्य के साथ छेड़खानी नहीं कर सकते हैं.