गुजरात में आगामी समय में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. वर्तमान में यहां बीजेपी की सरकार है. बीजेपी, कांग्रेस के बाद अब यहां आम आदमी पार्टी तीसरी पार्टी के तौर पर सामने आई है. बात करें, कच्छ की अबडासा सीट को यहां हमेशा दल-बदल की राजनीति हावी रही है. इस बार के चुनाव में भी हर किसी की नजर इस सीट पर रहने वाली है.
अबडासा की सीट पर कभी भाजपा कभी कांग्रेस जीतती रही है. यहां किसी एक राजनीतिक दल का प्रभुत्व नहीं रहा. दिलचस्प बात यह है कि अबडासा विधानसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार ने जीत हासिल करने के बाद भाजपा का दामन थामा है. अबडासा विधानसभा सीट पर 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रद्युमन सिंह जाडेजा ने जीत हासिल की थी. बाद में प्रद्युमन सिंह ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी को ज्वाइन कर लिया था. फिर 2020 के उपचुनाव में प्रद्युमन सिंह यहां बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते भी.
साल 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रद्युमसिंह जाडेजा ने बीजेपी के छबील पटेल को हराया था. जाडेजा को 48.8 प्रतिशत वोट मिले थे वहीं बीजेपी के खाते में 42.3 फीसदी वोट आए थे. इस सीट पर कुल 11 प्रत्याशियों ने 2017 में चुनाव लड़ा था जिनमें से 9 की जमानत जब्त हुई थी. प्रद्युमनसिंह उपचुनाव में 36 हजार वोटों से जीते थे. अबडासा विधानसभा सीट पर 2012 में कांग्रेस के छबीलभाई पटेल विजयी हुए थे. इससे पहले 2007 में भाजपा के जयंती भानुशाली ने जीत हासिल की थी.
अबडासा की राजनीति का काला सच
अबडासा विधानसभा सीट पर 2007 में जीत दर्ज करने वाले भाजपा नेता जयंती भानुशाली की चलती ट्रेन में हत्या कर दी गई थी. जांच एजेंसी ने भानुशाली की ह़त्या के आरोप में पूर्व कांग्रेस विधायक छबील पटेल को गिरफ्तार किया था. साल 2017 में छबील पटेल भी बीजेपी में शामिल हो गए थे. बताया जाता है जयंत भानुशाली और छबील पटेल एक दूसरे के राजनीतिक दुश्मन थे.
कच्छ की अबडासा विधानसभा में लगभग 2,23,705 मतदाता हैं. इस बार भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है. 2022 के चुनाव में ये देखना दिलचस्प होगा की इस बार कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए विधायक पर भरोसा करते हुए दुबारा प्रद्युमन जाडेजा को टिकट देगी या नहीं और यह भी देखना दिलचस्प होगा की गुजरात में तीसरी पार्टी के तौर पर सामने आई आम आदमी पार्टी बीजेपी-कांग्रेस का खेल बिगाड़ पाती है या नहीं.