गुजरात विधानसभा चुनावों के मद्देनजर राज्य चुनाव आयोग ने गरबा ऑर्गेनाईजरों के लिए फरमान जारी किया है. मतदान जागृति के लिए रोजाना गरबा खत्म होने की आरती से पहले चुनावी गरबा बजाना होगा. राज्य चुनाव आयोग का मकसद चुनावी गरबा से ज्यादा से ज्यादा लोगों को वोटिंग के लिए अवेयर करना है.
चुनावी गरबा को लोगों को आकर्षित करने के लिए खास रूप से तैयार किया गया है. गुजरात में नवरात्री का एक अलग ही माहौल रहता है. ऐसे में कई पंडालों में हजारों लोगों की भीड़ पहुंचती है.ऐसे चुनाव आयोग ने आदेश दिया है कि सभी गरबा आयोजकों को देवी आरती से पहले चुनावी गरबा बजाना होगा.
गौरतलब है कि 2 महीने बाद गुजरात में चुनाव होने हैं. चुनाव को लेकर मतदाता को अवेयर करने के मकसद से यह आदेश दिया गया है. नायब जिला निर्वाचन अधिकारी ऋषिन भट्ट का कहना है कि चुनाव आयोग का मकसद 18 से 21 के बीच उम्र वाले युवाओं को वोटिंग के लिए जागरूक करना है. उनके अनुसार चुनाव आयोग को पता है कि इन कार्यक्रमों में काफी युवा भाग लेते हैं. जब सभी आयोजन चुनाव गरबा हजारों युवाओं के बीच बजायेंगे तो इनके ताल पर झूमकर युवा गरबा के साथ साथ मतदान के प्रति भी जागरूक होंगे.
राज्य चुनाव आयोग की ओर से गरबा तैयार करने की जिम्मेदारी महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी की आर्ट्स फैकल्टी को दी गई थी. गरबा के बोल कुछ इस प्रकार हैं कि गरबा खेलने के लिए आपने पारंपरिक वस्त्र खरीदे, चुनाव के लिए भी जरूर वोटिंग कार्ड बनवाएं. गरबा का लुफ्त उठाते-उठाते लोगों को भी जागरूक करें कि आपका मत कितना कीमती है. चुनाव आयोग के आदेश के तहत जिला प्रशासन की ओर से गरबा के साथ-साथ युवा मतदान करने के लिए प्रेरित हों. तब जाकर लोकतंत्र का यह पर्व सही मायने में उत्सव बनेगा, इसमें कोई दो राय नहीं है.