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सोनिया से नहीं, प्रशांत किशोर से हुई नरेश पटेल की मुलाकात....कांग्रेस में शामिल होने पर सस्पेंस बरकरार

पाटीदार नेता नरेश पटेल की कांग्रेस एंट्री पर सस्पेंस बरकरार चल रहा है. उनकी तरफ से जानकारी दी गई है कि वे अभी तक कोई ठोस फैसला नहीं ले पाए हैं. उनकी माने तो 15 मई तक वे अपनी सियासी एंट्री को लेकर कोई फैसला लेंगे.

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नरेश पटेल और प्रशांत किशोर
नरेश पटेल और प्रशांत किशोर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पाटीदार समुदाय के बड़े नेता हैं नरेश पटेल
  • 15 मई को सियासी एंट्री को लेकर होगा बड़ा फैसला

गुजरात चुनाव से पहले पाटीदार समुदाय को अपने पाले में करने की जुगत दोनों कांग्रेस और बीजेपी द्वारा लगातार की जा रही है. पाटीदार नेता नरेश पटेल की भी राजनीति में होने जा रही 'संभावित एंट्री' ने सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू कर दिया है. अब इस बीच आज नरेश पटेल की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात नहीं हो पाई है.

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ऐसी खबर थी कि आज शनिवार को नरेश पटेल, सोनिया गांधी से मुलाकात कर सकते हैं. उस मुलाकात के बाद उनके कांग्रेस में शामिल होने की बात भी कही जा रही थी. लेकिन अब नरेश पटेल ने राजकोट पहुंचकर उन तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया है. उन्होंने कहा है कि मेरी मुलाकात सिर्फ़ प्रशांत किशोर से हुई है. किसी दूसरे कांग्रेस नेता से कोई मुलाकात या बाततीच नहीं हुई. वहीं जब उनसे कांग्रेस में शामिल होने को लेकर सवाल पूछा गया तो नरेश पटेल साफ कह गए कि अभी तक कोई ठोस फैसला नहीं लिया गया है.

उन्होंने कहा कि 15 मई तक साफ करूंगा कि राजनीति में जाना है या नहीं. वहीं ये भी बताया गया है कि कुछ दिनों में खोडलधाम की मीटिंग होने वाली है. उस बैठक के बाद वे कांग्रेस में जाने को लेकर कुछ भी स्पष्ट बता पाएंगे. ऐसे में अभी नरेश पटेल की 'कांग्रेस एंट्री' पर सस्पेंस बरकरार है.

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अब यहां पर ये भी जानना जरूरी हो जाता है कि नरेश पटेल सक्रिय राजनीति से जरूर दूर रहे हैं, लेकिन फिर भी गुजरात में पाटीदार वर्ग के बीच उनकी लोकप्रियता जबरदस्त है. वे खुद लेउवा समुदाय से आते हैं जिसकी गुजरात में संख्या 60 फीसदी के करीब है. वहीं दूसरी तरफ कडवा पटेल खड़े हैं जो 40 प्रतिशत के करीब माने जाते हैं. 

पिछले विधानसभा चुनाव में पाटीदार आंदोलन के बावजूद भी बीजेपी को इस वर्ग का बड़ा हिस्सा मिला था. आंकड़े बताते हैं कि तब 63 प्रतिशत लेउवा पाटीदार और 82 प्रतिशत कडवा पाटीदार ने भाजपा को वोट दिया था. इसी वजह से अब उस ट्रेंड को बदलने के लिए कांग्रेस नरेश पटेल पर अपनी नजरे लगाए है. पार्टी को पूरी उम्मीद है कि अगर नरेश पटेल कांग्रेस के साथ आते हैं तो चुनाव के दौरान बड़ा फायदा हो सकता है.

इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि तीन दशक पहले माधव सिंह सोलंकी की खाम थ्योरी के दम पर कांग्रेस पार्टी ने 148 सीटों पर अपना कब्जा जमाया था. अब पार्टी इस खाम थ्योरी के साथ ही पाटीदारों का वोट भी जोड़ना चाहती है. ऐसा होने पर उसके पास एक बड़ा वोट बैंक विकसित हो जाएगा जिसके दम पर बीजेपी को बड़ी चुनौती दी जा सकती है. 

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