गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी रजनीश राय ने मंगलवार को अपना इस्तीफा सरकार को सौंप दिया. 1992 गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी रजनीश राय फिलहाल आंध्र प्रदेश के चित्तूर में सीआरपीएफ में कार्यरत हैं.
आईपीएस अधिकारी के तौर पर इस्तीफा देने वाले रजनीश राय दूसरे गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी है. इससे पहले गुजरात में राहुल शर्मा ने भी अपना इस्तीफा सौंप दिया था.
रजनीश राय बतौर आईपीएस अधिकारी विवादों में रहे हैं. वह सबसे पहले तब विवादों में आए जब गुजरात में मोदी सरकार थी, और सोहराबुद्दीन के फर्जी एनकाउंटर मामले में गुजरात के ही दूसरे आईपीएस अधिकारी डीजी वंजारा और दूसरे पुलिसकर्मियों को ऑनड्यूटी गिरफ्तार किया था.
गुजरात में रजनीश राय, राहुल शर्मा और सतीश वर्मा ये तीन ऐसे आईपीएस अधिकारी हैं जिन्होंने 2001 में मोदी सरकार के आने के बाद सरकार के काम का खुलकर विरोध किया था. राहुल शर्मा तब विवादों में आए थे, जब उन्होंने गोधरा दंगों की जांच कर रहे आयोग को मोबाइल लोकेशन और सभी नेताओं के फोन की सीडी दी थी.
रजनीश राय ने सोहराबुद्दीन एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए कौसरबी की हत्या किए जाने का आरोप मोदी सरकार के बेहद करीब रहे ऐसे आईपीएस अधिकारी डीजी वंजारा और उनकी टीम पर लगाया था, तो वहीं सतीश वर्मा ने इशरत एनकाउंटर को फर्जी बताया था.
2014 में मोदी सरकार के केंद्र में आने के बाद रजनीश राय का ट्रांसफर आंध्र प्रदेश में सीआरपीएफ में कर दिया गया था. मोदी सरकार के आने के बाद रजनीश पिछले साल उस समय चर्चा में आए जब उन्होंने सीआरपीएफ के शीर्ष अधिकारियों को अपनी एक रिपोर्ट दी जिसमें बताया था कि कैसे सेना, अर्द्धसैनिक बल और असम पुलिस ने 29-30 मार्च चिरांग जिले के सिमालगुड़ी इलाके में फर्जी मुठभेड़ को अंजाम दिया और दो व्यक्तियों को एनडीएफबी (एस) का सदस्य बताकर मार डाला था.
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, डिफें मिनिस्ट्री, असम सरकार और सीआरपीएफ से जवाब-तलब किया था. जिसके बाद बिना किसी वजह इस साल जून में रजनीश राय का ट्रांसफर आंध्र प्रदेश कर दिया गया.