प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट बुलेट ट्रेन अब विवादों में फसता दिख रहा है. भूमि अधिग्रहण को लेकर गुजरात में किसानों का विरोध समस्या पैदा कर रहा है. इस प्रोजेक्ट के लिए किसान अपनी जमीन नहीं देना चाहते हैं. लिहाजा वो जमीन अधिग्रहण का कड़ा विरोध कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि उन्हें कम समय पर सोमवार को हुई बैठक के लिए बुलाया गया था. रविवार को समाचार पत्रों में नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन के जरिए इस बैठक के संबंध में जानकारी दी गई थी.
किसानों के मुताबिक अखबार में प्रकाशित सूचना में कहा गया है कि जमीन अधिग्रहण को लेकर यह दूसरी बैठक बुलाई जा रही है, लेकिन हकीकत यह है कि पहली बैठक बुलाई ही नहीं गई. किसानों का सवाल है कि पहली बैठक बुलाए बिना दूसरी बैठक कैसे बुलाई जा सकती है? इसके अलावा इस बैठक को लेकर किसानों को व्यक्तिगत जानकारी नहीं दी गई. किसानों को इसकी जानकारी मीडिया से मिली.
किसानों का कहना है कि जमीन अधिग्रहण को लेकर उनसे बातें छुपाई जा रही है. इसको लेकर किसानों ने वडोदरा और भरुच कलेक्टर को अपनी मांग के आधार पर ज्ञापन भी सौंपा है. किसानों के हक के लिए काम कर रहे हसमुख भट्ट का कहना है कि आज की कीमत के हिसाब से किसानों की जमीन का मुआवजा मिलना चाहिए. साथ ही इसके लिए किसानों को पूरा वक्त दिया जाए, तभी वो अपनी जमीन अधिग्रहण करने देंगे.
वहीं, मामले में नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन की ओर से सुनवाई करने आए पीके दत्ता का कहना है कि जो भी कार्यवाही हो रही है, वो रेलवे के नियमों के मुताबिक ही हो रही है. हालांकि जिस तरह से किसान इस बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए जमीन अधिग्रहण के विरोध में सामने आए हैं, उससे तो यही लगता है कि रेलवे को जमीन अधिग्रहण में काफी मशक्कत करनी पड़ेगी.