गुजरात विधानसभा का मानसून सत्र इस बार दो दिन के लिए बुलाया गया. बुधवार को आखिरी दिन सरकार ने विपक्ष के सवालों के जवाब सदन में मौखिक देने के बजाय लिखित में दिए. इस दौरान विधानसभा में मूंगफली कांड सबसे ज्यादा चर्चा में रहा. आरोप है कि सरकार द्वारा किसानों से बड़े पैमाने पर मूंगफली खरीदी गई थी, जिसमें मिट्टी और कंकर की मिलावट पाई गई थी.
इस मामले में जांच कर रही सीआईडी क्राइम अब तक 27 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. वहीं, मामले में पकड़े जाने के डर से करोड़ों रुपये की मूंगफली से भरे गोदामों में आग लगाई जा चुकी है. विपक्ष इसे सरकार का सबसे बड़ा घोटाला बता रहा है. बुधवार को विधानसभा में उना से कांग्रेस विधायक पूंजा वंश द्वारा पूछे गए सवाल का गुजरात सरकार ने जवाब दिया.
सरकार ने अपने जवाब में 31 हजार बोरे यानी 54 हजार 255 क्विंटल मूंगफली में मिलावट की बात स्वीकारी है. सौराष्ट्र के राजकोट और जूनागढ़ में करीब 22 लाख 89 हजार से ज्यादा की कीमत की मूंगफली में मिलावट की बात सामने आई है.
इस मामले को लेकर दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने कहा, 'यह एक बड़ा घोटाला था. मेरे खुद के चुनाव क्षेत्र बनासकांठा के किसानों से भी मूंगफली खरीदने की बात कही गई है, जबकि यहां के किसी भी किसानों ने मूंगफली की फसल नहीं बोई. यह सबसे बड़ा स्कैम है.'
सबूत मिटाने और पकड़े जाने से बचने के लिए मूंगफली की गोदामों में आग लगाई गई थी. जब मूंगफली में कंकर बरामद हुए, तो कांग्रेस ने जबरदस्त हंगामा किया था. इसके बाद गुजरात सरकार की ओर से इस मामले की जांच के लिए आयोग बनाया गया. गुजरात हाईकोर्ट के पूर्व न्यायधीश को इस आयोग के अध्यक्ष के तौर पर नियुक्त किया गया, जो पूरे मामले की जांच कर रहे हैं.
मूंगफली कांड में चार अलग-अलग गोदामों में आग लगा दी गई थी. ये गोदाम शापर, गोंडल, हापा और गांधीधाम में स्थित हैं. इसमें करोड़ों रुपये की मूंगफली जलकर खाक हो गई थी. मूंगफली में कंकर और मिट्टी की मिलावट की भी बात सामने आई थी.