गुजरात सरकार अब मृत जानवरों का चमड़ा निकालने वाले दलितों को पहचान पत्र जारी करेगी. राज्य सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकार विभाग ने ये फैसला किया है.
पिछले साल ऊना तहसील में दलितों की पिटाई के बाद राज्य के दलितों ने ऐलान किया था कि वो अब मरे हुए जानवरों को उठाने का का काम नहीं करेंगे. ऐसे चर्मकारों की रक्षा के लिए सरकार ने ये आईडी-कार्ड जारी करने का ऐलान किया है.
दलितों की रक्षा के लिए I-CARD
गुजरात के सामाजिक न्याय अधिकार मंत्री आत्माराम परमार का कहना है कि मृत जानवरों को उठाने का काम हजारों दलितों के लिए रोजी-रोटी का सवाल है. ये लोग स्वच्छता बनाए रखने में अहम योगदान देते हैं. लिहाजा पहचान पत्र इन लोगों को बिना दिक्कत इस काम को करने में मदद करेंगे.
क्या था ऊना कांड?
पिछले साल ऊना तहसील के समढीयाणा गांव में कथित गोरक्षकों ने कुछ दलितों की पिटाई की थी. ये दलित एक मरी हुई गाय की चमड़ी निकाल रहे थे. ये मसला पूरे राज्य ही नहीं बल्कि देश की सियासत में उछला था. मामले के संसद में गूंजने के बाद मायावती, केजरीवाल और राहुल गांधी ने पीड़ित दलितों से मुलाकात की थी. वहीं राज्य के दलित घटना के बाद सड़कों पर उतर आए थे.