गुजरात में चुनाव से पहले बीजेपी सरकार ने सरकारी कर्मचारियों की नाराजगी को दूर करने की तैयारी कर ली है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बीजेपी कार्यालय में मीटिंग के 24 घंटे के अंदर भूपेंद्र पटेल सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. सरकारी कर्मचारी की समस्याओं के निस्तारण के लिए 5 मंत्रियों की एक कमेटी गठित कर दी है. ये कमेटी आंदोलन करने वाले कर्मचारियों से मुलाकात करेगी और समस्याओं का निदान कराएगी.
बता दें कि गुजरात में विधानसभा चुनाव में अब सिर्फ तीन महीने का समय बचा है. ऐसे में बीजेपी पूरे चुनावी अभियान को रणनीति के तहत फतह करने की तैयारी में है. इस बीच, पिछले लंबे वक्त से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करने वाले सरकारी कर्मचारी की गूंज का असर दिखाई देने लगा है. 24 घंटे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात के बाद गुजरात सरकार एक्शन में आ गई है.
इन मंत्रियों को कमेटी में शामिल किया
गुजरात सरकार ने सोमवार को तय किया कि आंदोलन को खत्म करने के लिए सरकारी कर्मचारियों की बात सुनी जाएगी. इसके लिए गुजरात सरकार के पांच मंत्रियों की एक कमेटी बनाई गई है. इस कमेटी में सरकार के पांच मंत्री हर्ष संधवी, जीतू वाधाणी, कनु देसाई, ब्रिजेश मेरजा और रुषिकेश पटेल को शामिल किया गया है.
कर्मचारियों की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती है बीजेपी
दरअसल, माना जा रहा है कि सरकारी कर्मचारियों का आंदोलन जल्द खत्म नहीं होता है तो बीजेपी को इसका खामियाजा विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है. इसके साथ ही AAP नेता अरविंद केजरीवाल को गुजरात सरकार पर निशाना साधने का एक और मौका मिल जाता. सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने रविवार को बीजेपी दफ्तर में मीटिंग की थी. माना जा रहा है कि इस बैठक में नाराज कर्मचारियों की समस्या भी उठी और उसे हल करने का आश्वासन दिया गया है.
मंत्रियों के पास आंदोलन को खत्म करवाने की जिम्मेदारी
आनन-फानन में सरकार की तरफ से कमेटी गठित की गई और सोमवार को इस कमेटी ने सरकारी कर्मचारियों के साथ मीटिंग भी की है. जिसमें कर्मचारी की हर मांग को लेकर चर्चा की गई और जल्द से जल्द इस मामले को सुलझाने का आश्वासन दिया गया है. इस कमेटी का मकसद कर्मचारियों की मांगों के अलावा अन्य संगठन की समस्याओं को जानना भी है और निस्तारण करवाने की जिम्मेदारी है. साथ ही चुनाव से पहले आंदोलन को खत्म करवाना है.
इस वक्त ये संगठन अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं...
-पूर्व सैनिक आंदोलन
- ग्रेडपे के लिए पुलिस आंदोलन
- तलाटी कम मंत्रियों का आंदोलन
- ग्राम पंचायत के VCE कर्मचारियों का आंदोलन
- सरकारी कर्मचारी का आंदोलन
- किसान संघ का आंदोलन
- आरोग्य विभाग के कर्मचारियों का आंदोलन