गरीबी का पैमाना तय करने के मामले में अब गुजरात सरकार की किरकिरी होती दिख रही है. नरेंद्र मोदी की गुजरात सरकार ने गांव में 11 रुपए और शहर में 17 रुपए कमाने वाले को अमीर बताया है. खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग की सप्लाई शाखा को बीते महीने जारी एक लेटर में बताया गया है कि राज्य के ग्रामीण इलाके में हर महीने 324 रुपए तथा शहरी इलाके में 501 रुपए से कम कमाने वाला ही गरीबी रेखा से नीचे माना जा सकता है. स्थानीय निकाय की सिफारिश पर बनी नई बीपीएल सूची तथा बायोमैट्रिक राशन
कार्ड को लेकर राज्य सरकार पहले से ही विपक्ष के निशाने पर है.
गौरतलब है कि योजना आयोग की ओर से शहर में 32 रुपए और गांव में 26 रुपए रोजाना कमाने वाले को अमीर बताने पर भी खूब हो-हल्ला मचा था.
दिग्विजय ने साधा निशाना
नरेंद्र मोदी के राज में गरीबी की इस नई परिभाषा पर राजनीति शुरू हो गई है. कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने मोदी पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया है. उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह और लोकसभा में नेता विपक्ष सुषमा स्वराज से प्रतिक्रिया भी मांगी है.
Modi feels a person earning 11₹ per day is not poor and doesn't need any help. Would Rajnathji and Sushmaji pl react?
http://t.co/Z2g46KvfjK
— digvijaya singh (@digvijaya_28) February 2, 2014
क्या है पूरा मामलाभाई ने भी साधा मोदी पर निशाना
गुजरात राशन डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष और नरेंद्र मोदी के भाई प्रहलाद मोदी बताते हैं कि एसी कमरों में बैठकर पॉलिसी बनाने वाले अफसर सरकार की मर्जी से आंकड़े तैयार करते हैं. उनका आरोप है कि राज्य में गरीब को बीपीएल कार्ड भी नहीं मिल रहा जबकि अधिकारी और स्थानीय नेताओं की मदद से कई अमीर बीपीएल सूची में शामिल हो सरकारी योजनाओं का फायदा उठा रहे हैं. प्रहलाद मोदी एपीएल और बीपीएल के लिए जारी बायोमैट्रिक राशन कार्ड व्यवस्था को भी गरीबों के लिए परेशानी का सबब मानते हैं.
बीपीएल परिवार के लिए मानक
- ग्रामीण इलाके में ऐसे परिवार की प्रति व्यक्ति कमाई 324 रुपये प्रति माह से कम होनी चाहिए, जबकि शहर में रहने वाले लोगों के लिए 501 रुपए से कम होनी चाहिए (इस में पांच लोगों के परिवार को ही गिना जाएगा).
- बीपीएल कार्ड के लिए आवेदन करने वाला खेतिहर मजदूर होना चाहिए.
- आवेदन करने वाले के पास एक एकड़ से कम जमीन होनी चाहिए.