गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वो इशरत जहां एनकाउंटर केस में आरोपी डीजीपी पीपी पांडे को हटाएगी. पांडे इशरत जहां मामले में साजिश, अपहरण और हत्या के मामले में आरोपी है. वर्तमान में सीबीआई की विशेष अदालत में मुकदमा चल रहा है. पांडे केंद्र सरकार द्वारा 30 अप्रैल तक सेवा विस्तार पर चल रहे हैं.
पांडे ने सुप्रीम कोर्ट में पत्र दाखिल किया था कि वो तत्काल अपना पद छोड़ने को तैयार हैं. गुजरात सरकार ने बताया कि पीपी पांडे खुद पद छोड़ना चाहते हैं और सरकार ने उनकी इस पेशकश को स्वीकार कर लिया हैं.
जुलाई 2013 में हुए थे गिरफ्तार
1980 बैच के आईपीएस अधिकारी पीपी पांडे इशरत जहां मामले में आरोपी हैं और दूसरे आरोपी आईपीएस डीजी वंजरा के साथ जेल में भी रह चुके हैं. वंजारा भी फिलहाल जमानत पर रिहा हैं. जुलाई 2013 में सीबीआई ने इस मामले में पीपी पांडे को गिरफ्तार किया था. उस वक्त वह एडीजीपी-सीआईडी (क्राइम) के पद पर तैनात थे. फरवरी 2015 में उन्हें सीबीआई कोर्ट ने उनकी जमानत मंजूर की, जिसके बाद गुजरात सरकार ने उन्हें दोबारा पुलिस सेवा में बहाल करते हुए एडीजीपी (लॉ एंड ऑर्डर) पद सौंपा था.
एक्सटेंशन के खिलाफ दायर हुई थी याचिका
पांडे के खिलाफ दायर याचिका में कहा गया कि इशरत एनकाउंटर मामले को रफा-दफा करने और पांडे को डीजीपी बनाने के लिए सरकार ने जानबूझकर यह आदेश दिया है. सीबीआई के आरोप पत्र में पुलिस अधिकारियों के जो बयान है. वह सभी अधिकारी पांडे के नियंत्रण में होंगे. इससे आपराधिक प्रकरण में असर पड़ना तय है. रिटायर्ड IPS अफसर जूलियो रिबेरो की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को नोटिस दिया था. याचिका में कहा गया था कि पीपी पांडे इशरत जहां समेत कई केस में आरोपी रहे हैं, लेकिन सरकार ने रिटायरमेंट के बाद एक्सटेंशन देकर गुजरात का कार्यकारी DGP बना दिया है.