गुजरात कि बीजेपी कि विजय रुपानी सरकार के लिए मुसीबतें थमने का नाम नहीं ले रही है. पाटीदार आरक्षण आंदोलन को शांत करने के लिए गुजरात सरकार ने सामान्य जाति के लिए 10 फीसदी आर्थिक तौर पर आरक्षण देने की घोषणा की थी, हालांकि शुक्रवार को गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से मिली फटकार के बाद आर्थिक तौर पर दिए गए आरक्षण को रद्द कर दिया है.
दरअसल कि गुजरात हाई कोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए अनारक्षित श्रेणी के तहत 10 फीसदी आरक्षण के अध्यादेश को रद्द किया था. हाई कोर्ट ने गुजरात सरकार के इस अध्यादेश को असंवैधानिक बताया था, जिसके बाद गुजरात सरकार ने हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. पाटीदार आरक्षण की मांग को शांत करने के लिए उस वक्त कि मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने 1 मई से अध्यादेश को लागू करने का ऐलान किया था.
वहीं गुजरात सरकार के जरिए आर्थिक तौर पर आरक्षण को वापस लिए गए अध्यादेश पर पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने कहा कि बीजेपी सरकार के जरिए आर्थिक तौर पर आरक्षण को रद्द करने का फैसला ना सिर्फ भारतीय संविधान बल्कि गुजरात के 3 करोड़ अनारक्षित श्रेणी के लोगों का मजाक है. बीजेपी गुजरात की जनता पर प्रयोग कर युवाओं और किसानों के परिवार के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है.