कोरोना के बाद म्यूकर माइकोसिस के मामले लगातार सामने आने के बाद गुजरात सरकार ने इस बीमारी को महामारी घोषित कर दिया. अब गुजरात सरकार ने म्यूकर माइकोसिस से लड़ने के लिए 11 डॉक्टरों की एक्सपर्ट टास्क फोर्स गठित कर दी है. यहीं टास्क फोर्स एक दूसरे के साथ बातचीत कर म्यूकर माइकोसिस को लेकर मेडिकल ट्रीटमेन्ट, प्रोटोकल और मार्गदशिका तय करेगी.
गुजरात में ब्लैक फंगस का कहर
गुजरात में देश के सबसे ज्यादा म्यूकर माइकोसिस के केस दर्ज हुए हैं. अब तक गुजरात में कुल 4000 म्यूकर के मामले दर्ज किए गए हैं. इस लिस्ट में अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत, राजकोट, भावनगर और जामनगर शामिल हैं. इसी वजह से सरकार ने इन सभी शहरों के अस्पतालों में म्यूकर माइकोसिस के मरीजों के लिए अलग वॉर्ड की शुरुआत की है.
वहीं इस बीमारी से प्रभावी अंदाज में लड़ने के लिए सरकार ने टास्क फोर्स का गठन किया है. इस टास्क फोर्स में डेन्टल, ENT, ओप्थेल्मोलोजी, सरकारी और प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टर शामिल हैं. सभी को यहीं जिम्मेदारी दी गई है कि वे एक प्रोटोकॉल तैयार करें जिसके जरिए ब्लैक फंगस के मरीजों का जल्द प्रभावी इलाज किया जा सके.
पुरुषों को ब्लैक फंगस का ज्यादा खतरा?
गुजरात में म्यूकर माइकोसिस के अब तक दर्ज हुए मरीजों में 14.3 प्रतिशद लोग ठीक हो चुके हैं. जब की राज्य में महिलाओं की तुलना में पुरुषों में ज्यादा म्यूकर यानी ब्लैक फंगस के केस देखने मिले हैं. कुल दर्ज हुए मरीजों में 67.1 प्रतिशत पुरुष और 32.9 प्रतिशद महिला मरीज हैं. सरकारी आंकड़े तो ये भी बताते हैं कि 18 साल के कम उम्र के बच्चों में ब्लैक फंगस का खतरा सबसे कम है. अभी तक गुजरात में सिर्फ 0.5% मरीज मिले हैं. वहीं 18 से 45 साल की उम्र के लोगों में ब्लैक फंगस का सबसे ज्यादा कहर देखा गया है. राज्य में इस उम्र के 46.3% लोग बीमारी से ग्रसित बताए जा रहे हैं. इस सब के अलावा 59% ब्लैक फंगस के मरीजों में डायबिटीज , 22.1 % मरीजों में इम्यूनो कोम्प्रोमाइज,15.2% मरीजों में कोमोरबिड कन्डिशन होने की बात सामने आई है.
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कोरोना केस कम, ब्लैक फंगस का कहर जारी
देश में भी कोरोना के बजाय अब ब्लैक फंगस ज्यादा कहर बरपाता दिख रहा है. कई राज्य इसे महामारी घोषित कर चुके हैं और इस बीमारी से लड़ने के लिए तैयारी कर रहे हैं. एक तरफ ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल में आने वाले इंजेक्शन की सप्लाई बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ लोगों के बीच भी जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. अभी क्योंकि ज्यादातर मामले कोविड से ठीक हो चुके मरीजों में देखने को मिल रहे हैं, ऐसे में सभी को ब्लैक फंगस के लक्षणों के बारे में बताया जा रहा है और समय रहते डॉक्टरी सलाह की अपील की जा रही है.