गुजरात हाई कोर्ट ने सोमवार को पटेल आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल को विसनगर हिंसा मामले में भी जमानत दे दी. कोर्ट ने कहा है कि अगले नौ महीने तक वह मेहसाणा जिले में प्रवेश नहीं कर सकते.
विसनगर में बीजेपी के विधायक रिषिकेश पटेल के दफ्तर पर हमला और उस दौरान हुई हिंसक घटनाओं के मामले सहित कुछ दूसरे मामलों में हार्दिक की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह फैसला सुनाया.
तीन दिन पहले मिली थी दूसरे मामलों में जमानत
इससे तीन पहले ही पटेल को राजद्रोह के दो मामलों में कोर्ट ने जमानत दी थी. उसके साथ कोर्ट ने शर्त भी रखी कि जेल से छूटने पर उन्हें छह महीने का वक्त गुजरात से बाहर गुजारना होगा. सूरत की लाजपोर जेल में बंद हार्दिक को आज की सुनवाई तक जेल में रहना पड़ा था.
अक्टूबर, 2015 में हुई थी गिरफ्तारी
22 साल के हार्दिक को अक्टूबर, 2015 में गुजरात पुलिस ने राजकोट से गिरफ्तार किया था. उनके खिलाफ अगस्त के पटेल आंदोलन की हिंसक घटनाओं और सूरत में अपने एक समर्थक को खुदकुशी करने की बजाय पुलिसवालों को मारने की सलाह देने को लेकर मुकदमा दर्ज कराया गया था. राजद्रोह के ये अलग-अलग मामले अहमदाबाद और सूरत के अमरोली में क्राईम ब्रांच ने दर्ज कराए थे.