गुजरात में इस बार स्थानीय निकाय चुनावों (म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन) के दिलचस्प होने के आसार हैं. एक ओर जहां चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले बीजेपी और कांग्रेस ताल ठोक रही हैं, वहीं अब चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM की भी एंट्री हो गई है. AIMIM इस बार भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के साथ गठबंधन कर अपनी किस्मत आजमाने जा रही है. आम आदमी पार्टी (आप) भी चुनावी मैदान में उतरने को तैयार है. ऐसे में मुकाबला अब चार पार्टियों के बीच हो सकता है.
गुजरात में माना जाता रहा है कि यहां सिर्फ दो पार्टी (बीजेपी-कांग्रेस) ही चुनाव लड़ती हैं, लेकिन इस बार बीजेपी और कांग्रेस के साथ 'आप' और बीटीपी-AIMIM चुनाव में बाजी पलटने को तैयार हैं. गुजरात स्थानीय निकाय चुनावों में 'आप' ने घोषणा की है कि वो सभी म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन में अपने प्रत्याशी उतारेगी. वहीं AIMIM का जोर मुस्लिम बाहुल इलाकों पर रहेगा. बीटीपी के साथ मिलकर ओवैसी की पार्टी अपने उम्मीदवार उतारेगी.
जानकारों की मानें तो 'आप' और बीटीपी-AIMIM का गठबंधन के लिए चुनाव जीतना आसान नहीं होगा. गुजरात में पिछले 25 साल से बीजेपी एकक्षत्र शासन चला रही है. बावजूद इसके आज भी गांव हो या कॉर्पोरेशन का इलाका, साफ पानी, सड़क और स्वच्छता प्रमुख मुद्दे हैं. ऐसे में निकाय चुनावों में इस बार लोगों को बीजेपी-कांग्रेस के अलावा तीसरा विकल्प भी मिलेगा.
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हालांकि, ये तीसरा विकल्प (आप, बीटीपी-AIMIM) किसका वोट काटेगा, इसको लेकर कई सवाल हैं. कहा जा रहा है कि इसका सबसे ज्यादा खामियाजा कांग्रेस को ही भुगतना पड़ सकता है. जानकारों के मुताबिक, गुजरात के मुस्लिम वोटर जो कि अब तक कांग्रेस को वोट दे रहे थे, वो अब AIMIM की ओर मुड़ सकते हैं. वहीं बीजेपी का जो वोट बैंक है, उसे काफी हद तक फिक्स वोट बैंक माना जाता है.
बता दें कि चुनाव आयोग ने स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारी शुरू कर दी है. राज्य की 31 जिला पंचायत, 231 तहसील पंचायत, 6 नगर निगम और 51 नगर पालिकाओं का चुनाव फरवरी में होने की संभावना है.
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