गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी को महिला पुलिसकर्मी से छेड़छाड़ के मामले में भी जमानत मिल गई है. बारपेटा जिला एवं सत्र न्यायाधीश न्यायालय द्वारा उन्हें जमानत दी गई है. कोर्ट ने जिग्नेश मेवाणी को एक हजार रुपये के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया था. अदालती आदेश के बाद जिग्नेश मेवाणी जेल से बाहर आ गए हैं. जिग्नेश ने इस मामले में गुरुवार को जमानत याचिका दायर की थी.
वहीं जेल से छूटने के बाद जिग्नेश मेवाणी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने मुझे केवल एक ट्वीट के लिए असम की जेल में रखा. वो क्या मैसेज देना चाहते हैं? मुझे गिरफ्तार करने का षड़यंत्र पीएम कार्यालय में प्लान किया गया. मैं बीजेपी आर आरएसएस के खिलाफ जीवनभर लड़ूंगा.
विधायक जिग्नेश मेवाणी (MLA Jignesh mevani) को 26 अप्रैल को उनकी जमानत याचिका को खारिज करते हुए 5 दिन की पुलिस कस्टडी में भेजा गया था. मंगलवार को जिग्नेश मेवाणी को असम पुलिस ने महिला पुलिसकर्मी द्वारा एस्कॉर्ट करने के दौरान छेड़छाड़ और गाली देने से जुड़े मामले में पेश किया था. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विवादित ट्वीट करने को लेकर कोर्ट ने सोमवार को ही जिग्नेश मेवानी को जमानत दी थी.
जमानत के कुछ ही देर बाद जिग्नेश मेवानी पर दूसरे थाने में दर्ज महिला पुलिसकर्मी के साथ बदतमीजी करने के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया था. इस गिरफ्तारी के बाद जिग्नेश को कोर्ट में पेश किया गया था, जहां उन्हें 5 दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा गया.
क्या है पूरा मामला?
गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी पर देश के विभिन्न पुलिस थानों में कई तरह के मामले चल रहे हैं. सोमवार को पीएम मोदी पर टिप्पणी मामले में असम के कोकराझार कोर्ट से उन्हें जमानत मिल गई थी. इसके तुरंत बाद पुलिस ने मेवाणी को एक अन्य मामले में गिरफ्तार कर लिया. इस दौरान कोरकाझार से जिग्नेश मेवाणी को बारपेटा ले जाया गया. इसी दौरान उनपर महिला पुलिसकर्मी से छेड़छाड़ करने और उन्हें गाली देने का आरोप लगा.