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मोरबी हादसा: पुलिस ने कोर्ट में दायर की चार्जशीट, ओरेवा ग्रुप के मालिक समेत 10 लोगों को बनाया आरोपी

मोरबी में हुए पुल हादसे में पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट दायर कर दी है. पुलिस ने अपनी चार्जशीट में ओरेवा ग्रुप के मालिक जयसुख पटेल समेत 10 लोगों को आरोपी बनाया है. इस मामले में पुलिस ने अबतक 9 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है.

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मोरबी हादसा (फाइल फोटो)
मोरबी हादसा (फाइल फोटो)

गुजरात के मोरबी में हुए पुल हादसे में पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट दायर कर दी है. पुलिस ने अपनी चार्जशीट में ओरेवा ग्रुप के मालिक जयसुख पटेल समेत 10 लोगों को आरोपी बनाया है. इस मामले में पुलिस ने अबतक 9 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. हालांकि जयसुख पटेल अभी भी गिरफ्तारी से बाहर हैं.
ओरेवा ग्रुप के मालिक जयसुख पटेल ने गिरफ्तारी से बचने के लिए मोरबी की सेशंस कोर्ट में पहले ही अग्रिम जमानत याचिका दायर की है. पटेल की याचिका पर कोर्ट एक फरवरी को सुनवाई करेगी.  

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अबतक 9 आरोपी गिरफ्तार

इस मामले में अब तक 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. दीपक पारेख (ओरेवा कंपनी के मैनेजर ), दिनेशभाई महासुखराय दवे, मनसुख बालजीभाई टोपिया (टिकट क्लर्क), मादेवभाई लाखाभाई सोलंकी (टिकट क्लर्क), कॉन्ट्रैक्टर प्रकाशभाई लालजीभाई परमार , कॉन्ट्रैक्टर देवांगभाई प्रकाशभाई परमार, सिक्योरिटी गार्ड अल्पेशभाई , दिलीपभाई और मुकेश भाई. को गिरफ्तार किया जा चुका है.

ओरेवा ग्रुप ने कराई थी पुल की मरम्मत 

गांधीनगर से 300 किलोमीटर दूर मच्छु नदी पर बना ये केबल ब्रिज 7 महीने से बंद था. पुल की मरम्मत का काम अजंता मैनुफैक्चरिंग (ओरेवा ग्रुप) को मिला था. ये कंपनी घड़ियां, एलईडी लाइट, सीएफएल बल्ब, ई-बाइक बनाती है. हालांकि, अब ये जानकारी सामने आई है कि अजंता मैनुफैक्चरिंग ने मरम्मत का ठेका किसी दूसरी कंपनी को दे दिया था. 

135 से ज्यादा लोगों की हुई थी मौत

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बीते 30 अक्टूबर को हुए इस हादसे में 135 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी, इसके रेस्क्यू ऑपरेशन में भारतीय तटरक्षक बल, भारतीय नौसेना और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के अलावा स्थानीय प्रशासन भी जुटा हुआ था.

143 साल पुराना था मोरबी का ब्रिज 

मोरबी का 765 फीट लंबा और 4 फुट चौड़ा पुल 143 साल पुराना था. इस पुल का उद्घाटन 1879 में किया गया था. इस केबल ब्रिज को 1922 तक मोरबी में शासन करने वाले राजा वाघजी रावजी ने बनवाया था. वाघजी ठाकोर ने पुल बनाने का फैसला इसलिए लिया था, ताकि दरबारगढ़ पैलेस को नजरबाग पैलेस से जोड़ा जा सके. 

 

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